रायपुर: विधानसभा अघ्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति से राज्य में नए उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल माहौल बन रहा है। इससे रोजगार के नए अवसर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य की नई औद्योगिक नीति विभिन्न राज्यों की औद्योगिक नीतियों का गहन अध्ययन कर बनाई गई है। डॉ. महंत आज जिला मुख्यायलय जांजगीर में वाणिज्य एवं उद्योग विभाग द्वारा एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा ने की। कार्यशाला में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव भी मौजूद थे।
डॉ महंत ने आगे कहा कि गत सरकार के कार्यकाल में राज्य में उद्योगों की स्थापना के लिए 237 एम.ओ.यू. हुए थे किंतु उद्योग स्थापित नहीं किए गए। ऐसे उद्योगों की करीब 790 एकड़ जमीन सरकार द्वारा वापस अधिग्रहित कर ली गई हैं। उन्होंने इस रिक्त जमीन को नए उद्योग लगाने आबंटित करने की कार्यवाही करने कहा। उन्होंने जांजगीर में शक्कर कारखाना लगाने की मांग पर कहा कि पहले यहां के किसान गन्ना उत्पादन प्रारंभ करें। उन्होंने कहा कि जिले के कापन औद्योगिक क्षेत्र में 26 प्लांट लगाने भूमि आबंटित की गई है, सभी उद्योगपति इसमें शीघ्र प्लांट लगाने की कार्रवाई सुनिश्चित करें। उन्होंने के.एस.के. प्लांट द्वारा 100 एकड़ के स्थान पर करीब 300 एकड़ जमीन में कब्जा करने पर इसके विरूद्ध कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए। डॉ महंत ने चांपा के कोसा, कंचन और कांसा उद्योग को संरक्षित और संवर्धित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जांजगीर जिले के ग्राम सिवनी में केले और अलसी के तने से धागा और कपड़ा तैयार करने की प्रक्रिया का कलेक्टर को अवलोकन करने और इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ मंहत नेे जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र के महाप्रबंधक बीपी वासनिक को निर्देशित किया कि वे जिले में नवउद्यमियों, उद्योग लगाने के इच्छुक लोगों और उद्योगपतियों से सतत् संपर्क करें और उन्हें राज्य की नई उद्योग नीति से अवगत कराएं तथा उसका लाभ देना सुनिश्चित करें।
कार्यशाला उद्यम समागम को संबोधित करते हुए उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा ने कहा कि राज्य की नई औद्योगिक नीति देश की सर्वश्रेष्ठ औद्योगिक नीतियों में से एक है।  उन्होंने इस नीति के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग बहुल क्षेत्रों में शासन द्वारा दिए जाने वाले अनुदान की विस्तृत जानकारी दी। श्री लखमा ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नीति तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों की नीतियों का अध्ययन कर और स्थानीय उद्योगपतियों से विचार-विमर्श कर तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में लाकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ के उद्योग अनवरत चालू रहे। श्री लखमा ने कहा कि ऐसे समय में जबकि देश में बेरोजगारी बढ़ रही है, छत्तीसगढ़ की बेहतर औद्योगिक नीति के कारण नई सरकार बनने के बाद पिछले दो वर्षो में करीब 40 हजार लोगों को रोजगार मिला है। श्री लखमा ने कहा कि उद्योग स्थापित करने के लिए अब सिंगल विंडो प्रणाली के तहत अनुमति एक ही स्थान पर उद्योग विभाग से मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि नए उद्योगों में फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। उद्योगों के लिए जनजाति क्षेत्रों में निजी जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा।
जांजगीर जिले के प्रभारी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि छत्तीसगढ़ के सभी विकासखंड में एक-एक ऐसी इकाई की स्थापना हो, जिसमें कम से कम 500 लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सके। उन्होंने कहा कि ऐसी 200 स्थानीय ईकाइयों की स्थापना की पहल की जाएगी। श्री सिंहदेव ने कहा कि पूर्व मंत्री  स्वर्गीय श्री बिसाहू दास महंत ने जांजगीर जिले के कोसा उत्पाद को विदेशों तक पहुंचाने का काम किया। उन्होंने कहा कि अब ऐसी ही संभावनाओं को तलाशने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उद्यम की क्षमता को सभी का साथ मिले तभी हम ‘‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़‘‘ की परिकल्पना को साकार करने में समर्थ हो सकेंगे।
कार्यशाला को विधायक श्री सौरभ सिंह, श्रीमती इंदु बंजारे और जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती यनीता चंद्रा ने भी संबोधित किया। कलेक्टर श्री यशवंत कुमार ने जिले में औद्योगिक विकास की स्थिति पर आधारित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह, नगर पालिका जांजगीर-नैला अध्यक्ष श्री भगवानदास गढ़ेवाल, चांपा नगर पलिका अध्यक्ष श्री जय थवाईत, जिले के उद्योगपति, व्यवसायी, उद्यमी, छात्र, गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।