कानन पेंडारी चिड़ियाघर में दो मादा हिप्पोपोटामस को शनिवार को रात में भुवनेश्वर से लाया गया। कानन के अफसरों के लिए हिप्पोपोटामस को कानन लाना आसान नहीं था। भेजी गई टीम में दो डाक्टर भी थे। बिलासपुर से भुवनेश्वर 600 किलोमीटर दूर है। हिप्पो को तापमान बिलकुल बर्दाश्त नहीं है। यही वजह है कि वह दिन भर पानी में ही डूबा रहता है। ऐसी स्थिति में 600 किलोमीटर दो-दो हिप्पो को लाने के लिए चार जू कीपर रखे गए थे। 18 फरवरी को कानन से निकलने के बाद 19 को विभाग के वाहन में केज रखने के बाद वाहन में पानी के दो ड्रम की व्यवस्था भी रखी गई थी। यह इसलिए कि यात्रा के दौरान पूरे समय हिप्पो के शरीर को गीला रखा जाए जिससे कि उस पर गर्मी का प्रभाव न पड़े। 1200 से 1500 किलो वजनी हिप्पो के शरीर काे गीला करने के लिए सभी चारों जू कीपर शिफ्ट के हिसाब से पानी डालते रहे। इस दौरान दो जगहों पर ड्रम को पानी से भरा गया।

जू में मादा हिप्पोपोटामस लाने की तैयार एक साल से चल रही थी। इसके लिए भुवनेश्वर जू से वन्य प्राणियों की अदला- बदली के तहत सहमति भी बनी। इस बीच भुवनेश्वर जू प्रबंधन द्वारा यहां से लायन जोड़ा ले गया। पर कुछ न कुछ अड़चनों की वजह से कानन प्रबंधन हिप्पो नहीं ला सका। पहले कोरोना के कारण अड़ंगा हुआ।