छत्तीसगढ़ में कौशल्या मातृत्व योजना के रूप में माँ के साथ नवजात बच्ची की पोषण सुरक्षा के लिए अभिनव पहल की गई है। योजना के तहत द्वितीय संतान के रूप में बालिका के जन्म पर राज्य सरकार द्वारा 5 हजार रूपये की एकमुश्त सहायता राशि प्रदान की जाएगी। कौशल्या मातृत्व योजना का पूरा व्यय राज्य सरकार वहन करेगी। इसका प्रावधान मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस वर्ष के बजट 2021-22 में किया है। योजना से महिलाओं को गर्भावस्था के बाद स्वयं और बच्चे के पोषण और देखभाल में सहायता होगी और कन्या भू्रण हत्या में कमी आएगी। उल्लेखनीय है कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित केंद्रीय मातृ वंदना योजना के तहत गर्भवती और धात्री माताओं के पोषण सुधार और उनकी मजदूरी की पूरक प्रतिपूर्ति के लिए पहली जीवित सन्तान के लिए तीन किश्तों में 5 हजार रूपए की राशि दी जाती है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ से कुपोषण मुक्ति का संकल्प लिया है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के बजट में भी कई प्रावधान किए गए हैं। महिलाओं और बच्चों की पोषण सुरक्षा राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में है। उनके समग्र विकास का ध्यान रखते हुए बच्चों की देखरेख सुरक्षा एवं संरक्षण संबंधी कार्यों के लिये एकीकृत बाल संरक्षण योजना हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 47 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। विशेष पोषण आहार योजना में 732 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
आज भी समाज में कन्या भू्रण हत्या जैसी कुरीतियां विद्यमान हैं। सामान्यतः देखा गया है कि बालिका के जन्म पर कई परिवार खुश नहीं रहते और जिसका प्रभाव माँ और बच्ची के पोषण पर भी पड़ता है। कौशल्या मातृत्व योजना से द्वितीय पुत्री के जन्म पर भी सहायता राशि मिलने से कुपोषण और कन्या भू्रण हत्या जैसी समस्याओं में कमी लाने में सहायता मिलेगी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा प्रदेश में 2 अक्टूबर 2019 से शुरु किये गये मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के भी सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। विगत एक वर्ष में 99 हजार बच्चे कुपोषण से मुक्त किये जा चुके हैं। वजन त्यौहार आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में कुपोषण का स्तर 26.33 प्रतिशत था जो घटकर वर्ष 2019 में 23.37 प्रतिशत हो चुका है। इसी तरह उम्मीद है कि भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में उनकी माता कौशल्या के नाम पर शुरू हो रही कौशल्या मातृत्व योजना भी नन्ही बच्चियों के लिए वरदान साबित होगी।