सुनो खबर विशेष । Covid -19 वैश्विक महामारी में पहली लहर सिर्फ संकेतात्मक आंधी की तरह अपना रूप दिखाकर चली गई उसके कुछ अंतराल मुश्किल से 4 माह अंतराल पर यानी दीपावली से ठीक होली से पहले तक थोड़ा सुकून मिला

ही था कि ऐसा तूफान आया कि 24 घंटे के अंदर सभी अस्पतालों के बेड फूल हो गए । जीवनरक्षक दवाइयों के साथ साथ ऑक्सीजन सिलिंडर की कमी हो गई । पूरे देश मे सिर्फ चुनावी राज्यों को छोड़कर हाहाकार मच गया । एमपी के मुख्यमंत्री तो स्वास्थ्य आग्रह पर 24 घंटो के लिए बैठ गए । फिर से लॉक डाउन वाले हालात समीकरण बनने लगे और फाइनली जनता राज्यों के कलेक्टरों ने अपनी अपनी स्थिति के अनुसार कर्फ्यू का ऐलान 26 अप्रैल तक कर दिया । दमोह में उपचुनाव के कारण कर्फ्यू थोड़ा लेट आया परन्तु मतदान के पश्चात उसी रात से वाहन भी कर्फ्यू लगा दिया गया।

पूरे प्रदेश से प्रतिदिन मौतो के आंकड़े 10 से ऊपर है आ रहे है। कब्रिस्तानों शमशान स्थलों पर लाशों की लाइन लगी हुई है। शव वाहनों की कतारे और वेटिंग है। शवो को रखने के लिए फ्रीजर मिल नहीं रहे है। ऑक्सीजन सिलिंडर नदारद है । जिला प्रशासन कोई कमी नहीं है कहता नजर आता है परन्तु अगले दिन ऑक्सीजन से संख्यात्मक मौटो का आंकड़ा खबरों की सुर्खियों में छाए रहे है।

रेमदेसीवर और अन्य ऑक्सीजन रेस्पिरेटरी सिस्टम से रिलेटेड मेडिसिन मार्केट से कालाबाजारी के साथ अनुपलब्ध है या फिर आमजन को जेब पर भारी है।

आप सभी बस कुछ बातें सोचिए –

  • वैज्ञानिकों ने वैक्सीन बनाकर अपना धर्म निभाया ।
  • पुलिस ने लॉक डाउन / कर्फ्यू लॉ एंड ऑर्डर को कायमी करने में अपना कर्तव्य निभाया ।
  • प्रशासन ने व्यवस्था निभाने के साथ सीमित संसाधनों के साथ अस्पतालों की व्यवस्था को दुरुस्त करने में सहयोग निभाया
  • स्वास्थ्य कर्मियों ने दिन रात स्वयं संक्रमित होकर मरीजों के सेवा में जुटे हुए है। मानव संसाधनों किंकमी के बावजूद।
  • मीडिया कर्मी हरसंभव सही सटीक खबरों को जनता प्रशासन और शासन के मध्य सूचना आदन प्रदान में लगे हुए है।
  • सफाई कर्मी भी घर घर कचरा संग्रहण में लगे हुए है।

फिर आखिर वोटो और फोटो लेने में आगे हमारे जन प्रतिनिधि मरीजों के परिवारजन , डॉक्टर और सफाई कर्मियों पर रौब दिखाते नजर आते है।

चुनावी वादे और व्यवस्था में कालाबाजारी करने में आगे हमारे नेता या फिर कहने हमारे लोकतंत्र के प्रतिनिधि आज इस गंभीर चुनौती कोई भी कार्य उचित जनता के हित के लिए किए हो तो बताए । साथ ही इनकी आय इस अवधि में कितनी बड़ी है इसका उल्लेख सार्वजनिक करें । जो की असंभव है।

आज फिर वही कहावत चरितार्थ है सांपनाथ और नागनाथ। जनता को तो सभी डंसे है। संभलकर रखना कदम , गड्ढे बहुत है। 

 

 

 

 

 

 

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