ग्वालियर: साहब, नगर निगम के अधिकारी भ्रष्ट हैं और बिल्डर दोषी लेकिन बुलडोजर चलाकर दुकानें हमारी तोड़ दी गई। सालों से इन्हीं दुकानों से परिवार का भरण पोषण कर रहे थे। अब सडक़ पर आ गए हैं। रोजी-रोटी का संकट बहुत परेशान कर रहा है। यह कहना है उन दुकानदारों का जो सौगात अपार्टमेंट के बेसमेंट में संचालित थी। और पिछले दिनों नगर निगम के दस्ते ने तोड़ दिया था। अब न्याय की गुहार लगाते हुए धरने पर बैठ गए हैं।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों न्यायालय के आदेश पर शहर की उन इमारतों के बेसमेंट में बनी दुकानों को तोड़ा जा रहा है। जिनका उपयोग बजाए पार्किंग के व्यवसायिक रूप में किया जा रहा है। इसी क्रम में थाटीपुर स्थित सौगात अपार्टमेंट के बेसमेंट में बनी 35 दुकानों को तोड़ दिया गया था। हालांकि इस कार्रवाई का दुकानदारों ने जमकर विरोध किया था। और यह भी कहा था कि तोडफ़ोड़ से पहले ना तो उन्हें कोई नोटिस मिला ना सामान समेटने का मौका ऐसे में हो पूरी तरह से बर्बाद हो गए।
नगर निगम ने कैसे दे दी परमिशन
धरने पर बैठे दुकानदारों का कहना है कि उनके पास दुकानों की रजिस्ट्री है। इस इमारत को बनाने की परमिशन भी नगर निगम द्वारा ही दी गई है। यह कैसे हुआ साफ है बिल्डरों से मिलकर खुला भ्रष्टाचार हुआ है। जो केवल यहीं तक सीमित नहीं है। शहरभर में दर्जनों इमारतों को इसी तरह की परमिशन दी गई है। बाद में न्यायालय के दबाव के बाद तोडफ़ोड़ कर दी जाती है। ऐसे में गरीबों से रोजगार छिन जाता है। जबकि बिल्डर पूरा पैसा लेकर दुकानें बेच चुका होता है। कार्रवाई बिल्डरों और नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ होना चाहिए। लेकिन ऐसा कभी नहीं होता। उनका यह भी आरोप है कि वोट मांगने आने वाले नेता भी नहीं आए उनकी भी मिली भगत है।