छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र का चौथा दिन भी हंगामेदार रहा। विपक्ष ने सरकार को गोबर खरीदी के मामले में घेर लिया। बात गोबर के चोरी होने और बह जाने से जुड़े सवालों से शुरू होकर गोठान संचालन समितियों के गठन तक पहुंची। विपक्ष ने आरोप लगाया कि इन समितियों के गठन में पंचायत के अधिकारों का हनन किया गया है। इस मुद्दे पर कृषि मंत्री के बयान से नाराज विपक्ष ने वॉकआउट किया।

प्रश्नकाल में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने गोठानों से गोबर के चोरी होने और बह जाने की सूचनाओं से जुड़े सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि इन सूचनाओं पर सरकार ने क्या कार्रवाई की है। जवाब में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया, प्रदेश भर में 4 गोबर खरीदी केंद्रों से गोबर चोरी होने और पानी में बह जाने की शिकायत मिली थी। उन्होंने बताया, दुर्ग में अगस्त 2020 में भारी बरसात से गोबर बह जाने की शिकायत मिली थी, इसकी वसूली के लिए नोटिस जारी हुआ है। कोरबा से गोबर चोरी की रिपोर्ट मिली है। घटना पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। इस जवाब में विपक्ष ने इन घटनाओं को घोटाला बताया।

भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने पूछा कि गोबर की खरीदी और सुरक्षा कौन करता है। कृषि मंत्री ने बताया, गोठान पंचायतों की संपत्ति है। वहां गोबर गोठान संचालन समितियां बनाई गई हैं, ये गोबर खरीदी और गोठान की गतिविधियों का संचालन करती है। पंचायत और कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी इसमें उनकी मदद करते हैं। भाजपा नेताओं ने पूछा कि क्या गोठान समितियों की नियुक्ति पंचायतों ने की है। जवाब में मंत्री ने कहा, पंचायतों की सलाह पर बनी हैं। इसपर विपक्ष भड़क उठा। भाजपा विधायकों ने कहा, पंचायतों से 50-50 नाम मांगे गए थे, लेकिन उनमें से किसी को भी समिति में नहीं लिया गया। प्रभारी मंत्री ने अपने हिसाब से समितियां बनाई हैं। यह पंचायताें के अधिकार का अतिक्रमण है। उसके बाद भाजपा के विधायक अपनी सीट पर खड़े होकर हंगामा करने लगे। सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।