रांची। CNT-SP कानून लाया जाना झारखंड के आदिवासी समाज का अंग्रेजों के विरुद्ध सफल संघर्ष का जीता-जागता उदाहरण है– महादेव टोप्पो
भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाया जाने की घोषणा झारखंड वासियों के लिए गौरव का विषय-अरिमर्दन सिंह
आजादी के मतवालों के त्याग और बलिदान से प्रेरणा लेकर समाज के नवनिर्माण का प्रयास करना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी – अरिमर्दन सिंह
पीआईबी, रांची द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव एवं जनजातीय गौरव दिवस की घोषणा पर वेबिनार
विगत दिनों आजादी के अमृत महोत्सव की कड़ी में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने जनजातीय समाज को भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस पर अद्भुत उपहार पेश करते हुए झारखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी के जन्मदिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की ।
आजादी के अमृत महोत्सव एवं जनजातीय गौरव दिवस की घोषणा के उपलक्ष पर पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और इसी कड़ी में पीआईबी रांची द्वारा कल रविवार को देश की आजादी में झारखंड के जनजातीय समाज का योगदान विषय पर यहां वेबिनार का आयोजन किया गया है।
वेबिनार की शुरुआत गुमला की प्रसिद्ध लोकगीत गायिका सुश्री सीमा देवी के गायन से हुई। सीमा देवी ने अपने गायन द्वारा आजादी के सिपाहियों का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें नमन किया।
वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए सुप्रसिद्ध लेखक , गीतकार, नाटककार , पूर्व बैंकर एवं जनजातीय संस्कृति विशेषज्ञ श्री महादेव टोप्पो ने कहा कि अंग्रेजी शासन के विरुद्ध झारखंड के मूल वासियों का संघर्ष का इतिहास बहुत पुराना है। देश में अंग्रेजी शासन से आजादी की सुगबुगाहट से पहले ही झारखंड में झारखंड वासियों द्वारा अंग्रेजी शासन के विरुद्ध संघर्ष शुरू हो चुका था।
शायद पूरी दुनिया में आजादी के लिए किए गए संघर्ष का यह इकलौता उदाहरण है जब प्रसिद्ध क्रांतिकारी वीर बुधु भगत के परिवार के 100 लोग एक ही दिन शहीद कर दिए गए।
श्री महादेव टोप्पो ने आगे कहा कि उस समय जब अंग्रेजी शासन का सूरज नहीं डूबता था झारखंड वासियों ने अपने संघर्ष से अंग्रेजों को अपनी बात मानने पर मजबूर कर दिया और यहां CNT-SP कानून लाया गया।
श्री टोप्पो बिरसा मुंडा के बलिदान को याद करते हुए कहा कि बिरसा मुंडा केवल झारखंड ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न प्रांतों में भी सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। भगवान बिरसा मुंडा पर तमिल भाषा में भी उपन्यास लिखा गया है। हमें इस बात की खुशी है कि भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा भी 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
आवश्यकता इस बात की है की शासन में बैठे लोग आदिवासियों की समस्याओं को समझें और उसके निराकरण का प्रयास करें।
आदिवासी बड़े सरल स्वभाव के होते हैं और उनका हमेशा यह प्रयास होता है कि वे विवाद और झगड़े से दूर रहें। लेकिन जब उन्हें जानबूझकर परेशानी में डाला जाता है तो वे संघर्ष करने से भी पीछे नहीं हटते।
परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए विवेकानंद विद्या मंदिर, रांची की शिक्षिका सुश्री उमा कुमारी जी ने कहा कि झारखंड के आज़ादी का इतिहास बहुत गौरवशाली इतिहास है। इतिहास के पन्नों को पलटने पर हमें यह मालूम होता है कि देश के विभिन्न प्रांतों में जब आजादी की ज्वाला फूट रही थी तो झारखंड भी इससे अछूता नहीं था। वीर बुधु भगत, तेलंगा खड़िया, शेख भिखारी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ, ताना भगत समुदाय भी झारखंड के विभिन्न प्रांतों में अंग्रेजों से लोहा लेता हुआ दिखाई देता है।
परिचर्चा के अंत में अध्यक्षीय भाषण देते हुए पत्र सूचना कार्यालय एवं प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो , रांची के अपर महानिदेशक श्री अरिमर्दन सिंह ने कहा कि अंग्रेजी शासन से मुक्ति पाने के लिए देशव्यापी संघर्ष हुआ जिसमें झारखंड के वीर सपूतों का बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। आवश्यकता इस बात की है कि हम उन वीर सपूतों के त्याग और बलिदान से प्रेरणा लेकर आज के समाज को कुरीतियों से मुक्त कर प्रगतिशील समाज बनाने पर बल दें। यही स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
श्री अरिमर्दन सिंह ने इस बात पर भी हर्ष व्यक्त किया कि भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को भारत सरकार ने हर वर्ष ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा किया है।
आज के वेबिनार का यूट्यूब पर भी लाइव प्रसारण के साथ क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। वेबिनार के दौरान सुश्री सीमा देवी के विभिन्न गीतों की भी प्रस्तुति से लोग आनंदित होते रहे।
वेबिनार की अध्यक्षता पत्र सूचना कार्यालय एवं प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो , रांची के अपर महानिदेशक श्री अरिमर्दन सिंह ने किया जबकि संचालन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी शाहिद रहमान ने किया।
कार्यक्रम में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के विभिन्न इकाइयों के अधिकारियों/कर्मचारियों के अलावा स्कूली बच्चों, अभिभावकों और आम लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।