वित्त मंत्रालय ने सभी सरकारी बैंकों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (पीएसबी) को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले (एमएसएमई) उद्योगों को कर्ज की उपलब्धता की समीक्षा करने और इस दिशा में सुधारात्मक कदम उठाने को कहा है, जिससे कि उन्हें पर्याप्त धन मिल सके। वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों के मुख्य कार्यकारियों को आधिकारिक पत्र में कहा है कि वे मुख्य महाप्रबंधक या महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों को इस दिशा में हुई प्रगति का गहराई से विश्लेषण करने का काम सौंपें, जो यह देखने का काम करें कि एमएसएमई को कर्ज की उपलब्धता के मसले से क्यों जूझना पड़ रहा है।
सुधारात्मक कदम उठाने व विश्लेषण करने के बाद संबंधित प्रबंध निदेशकों को एमएसएमई द्वारा बैंकों से लिए जाने वाले कर्ज, एमएसएमई के गैर निष्पादित खातों, रिजर्व बैंक की जनवरी की योजना के बाद एमएसएमई खातों के पुनर्गठन की स्थिति और अब तक इस दायरे में न आने वाले एमएसएमई के साथ अन्य मसलों पर वित्त मंत्रालय को जानकारी देनी होगी।
वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा है, ‘सरकारी बैंकों के प्रमुखों को यह भी कहा गया है कि इस दिशा में सभी गंभीर कवायद की जानी चाहिए, जिससे कि कर्ज लेने को इच्छुक एमएसएमई को कोई तकलीफ न उठानी पड़े और उन्हें मौजूदा दिशानिर्देशों के मुताबिक यह सुविधा मिलनी चाहिए।’
हाल ही में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के पूर्व चेयरमैन यूके सिन्हा की अध्यक्षा में बनी रिजर्व बैंक की एक विशेषज्ञों की समिति ने एमएसएमई को जमानत से मुक्त मिलने वाली राशि को मौजूदा 10 लाख से दोगुना बढ़ाकर 20 लाख करने की सिफारिश की थी। इसने एमएसएमई क्षेत्र के लिए 5,000 करोड़ रुपये के स्टे्रस असेट फंड के गठन की भी सिफारिश की थी।