भोपाल । अपने खेत-मेड़ और खलिहानों में पौधे लगाने वाले किसानों को अब अनुदान राशि दी जाएगी। इसके लिए अब कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी। कृषक समृद्धि योजना के तहत दी जा रही इस राशि से करीब एक लाख प्रदेश के किसान लाभांवित होंगे। योजना के तहत प्रदेश के किसानों द्वारा करीब ढाई करोड पौधा लगाने का दावा विभाग द्वारा किया जा रहा है। वन विभाग ने मामला कैबिनेट को भेजने की तैयारी कर ली है। योजना के तहत किसानों, वनदूतों और पौधे परिवहन करने वालों को करीब 50 करोड़ रुपए दिए जाने हैं। यह राशि कैंपा फंड से दी जानी थी, लेकिन राज्य सरकार का प्रस्ताव पहुंचने में देरी हो गई। तब तक केंद्र सरकार कैंपा फंड खर्च करने के नियमों में बदलाव कर चुकी थी, इसलिए राशि अटक गई है। पौधरोपण को कृषि से जोड़ने के लिए वन विभाग यह योजना चला रहा है। योजना के तहत किसानों को निजी भूमि पर बांस, यूकेलिप्टस सहित अन्य प्रजाति के पौधे रोपने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। किसानों को पौधरोपण के लिए तैयार करने वनदूत भी नियुक्त किए गए हैं।
इस योजना के तहत कैंपा फंड से अनुदान राशि देने का फैसला हुआ है। पिछले दो साल में योजना के तहत एक लाख किसानों ने ढाई करोड़ पौधे रोपे। सबसे ज्यादा पौधे पिछले साल (2018) में रोपे गए। किसानों को पौधरोपण की पहली किस्त भी दे दी गई, लेकिन दूसरी किस्त देने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा तो सरकार ने राशि देने से इनकार कर दिया। यह राशि 50 करोड़ रुपए से ज्यादा है। किसानों को विभाग ने पौधे निशुल्क दिए थे। विभाग पौधरोपण के बाद पौधों का सत्यापन करा चुका है, जिसमें 99 फीसदी पौधे जिंदा पाए गए हैं। विभाग को प्रत्येक पौधे के लिए किसान को पहले साल 15 रुपए अनुदान देना है। वहीं वनदूत को चार रुपए प्रति पौधा दिया जाना है। जबकि पौधे जीवित रहने पर दूसरे साल किसानों को 10 रुपए प्रति पौधा और वनदूतों को तीन रुपए प्रति पौधा दिया जाना है। इस योजना के तहत किसानों की अटकी राशि का भुगतान कराने वन अफसर अब कैबिनेट में प्रस्ताव लेकर जाएंगे। कैबिनेट से विशेष अनुमति लेकर विभाग किसान, वनदूत और पौधों का परिवहन करने वालों को अनुदान राशि का भुगतान करेगा। इस बारे में कैंपा शाखा के एपीसीसीएफ राजेश कुमार का कहना है कि विभाग इस योजना को बंद भी कर सकता है, क्योंकि योजना के तहत किसानों को अनुदान राशि देने के लिए विभाग के पास बजट नहीं है। यदि राज्य सरकार बजट देने को तैयार होती है, तभी विभाग योजना को नियमित संचालित रख सकेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *