नई दिल्ली I प्रिंट मीडिया, कोरोना काल से आर्थिक मंदी से लगातार जूझ रहा है I एक तरफ जहां इलेक्ट्रॉनिक और सोशल प्लेटफॉर्म न्यूज ब्रीफिंग कर रहे है , वहीँ अखबार जगत के लिए प्रतियां छापना और घर – घर पहुंचाना मुश्किल हो रहा है I
अखबारी कागज की बेतहाशा वृद्धि ने इस प्रिंट मीडिया जगत को चुनौतिपूर्ण बना दिया है I 2020-21 में जो अखबारी काग़ज़ 40 से 55 रुपये प्रति किलो था आज वही काग़ज़ 70 से 80 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गया है I जबकि गर्मियों के मौसम में अखबारी कागज के भाव में कमी आती थी I
कागज के साथ इंक और प्लेट के भी दाम में वृद्धि
प्रिंट मीडिया में इस बार अखबारी कागज के साथ प्रिंटिंग सामान जैसे इंक CTP प्लेट आदि के दाम में भी वृद्धि हुई है I जिससे प्रिंटिंग कॉस्ट में बेतहाशा वृद्धि हुई है I
विज्ञापन हुए कम ख़र्चे बढ़ गए
आज भी भले सोशल प्लेटफॉर्म पर भीड़ ज़्यादा हो परंतु ग्रामीण इलाकों और पढ़ने की आदतों के अनुसार लोगों को सुबह शाम एक बार अखबार जरूर चाहिए होता है I जिसकी वज़ह से आज प्रिंट मीडिया का अस्तित्व बना हुआ है I परंतु विज्ञापनों की कमी और सरकारों की उपेक्षा प्रिंट मीडिया को कमजोर बना रही है I
अखबारी कागज दाम बढ़ने के कारण
भारत मे 50% कागज रूस, कनाडा, यूरोपीय संघ से आता है परंतु युद्ध के कारण आवक बंद है I साथ ही ऑनलाइन सामानों की डिमांड से पैकिंग मैटेरियल के लिए कच्चा माल ज़्यादा खपत होने लगा I रद्दी का भाव भी जो 10 से 15 रुपये किलो था वो भी 30 से 40 रुपये तक प्रति किलो बढ़ाने से अखबारी कागज मुल्य बढ़ाने का मुख्य कारण बना I