एक तरफ मुंबई में भारी बारिश की खबरें हैं, तो वहीं, दिल्ली और उसके आसपास के बीते शुक्रवार को हल्की बौछारों के अलावा बारिश के आंकड़े तकरीबन शून्य ही रहे हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों सहित उत्तर और मध्य भारत के कई हिस्सों में अब भी पूरे मानसून का इंतज़ार ही चल रहा है. तमाम आंकडों के लिहाज़ से अब तक ये साल भारत में मानसून के अभाव का साल है. पिछले पांच हफ्तों में दिल्ली में औसत से 90 फीसदी कम बरसात हुई है.

आम तौर से जून से सितंबर तक मानसून का मौसम माना जाता है और पूरे मौसम की 17 फीसदी बारिश जून में हो जाती है, लेकिन इस साल जून के महीने में 50 फीसदी कम बारिश हुई. ज़ाहिर तौर पर, किसानों के लिए ये चिंता और मुसीबत का कारण है क्योंकि भारत में कृषि ज़्यादातर बारिश पर ही निर्भर है. दूसरी ओर, देश में इस साल भीषण गर्मी का मौसम लंबा खिंच चुका है.

पर्यावरण से जुड़े पत्र डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 1 मार्च से पहले 100 दिनों के भीतर देश के 22 राज्यों में 70 से ज़्यादा हीट वेव चरण देखे गए. केवल बिहार में ही 200 लोग मारे गए और तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों में भी गर्मी से मौतों की खबर आई. वहीं, मौसम विभाग की मानें तो पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी सामान्य से 5.1 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा तापमान बना हुआ है.

भारत के लिए खतरनाक होगा आने वाला कल!
हीटवेव के साथ जलसंकट का बढ़ना स्वाभाविक है. इस साल भूमिगत जलस्तर में 54 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा चुकी है. केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक जून में 90 रिज़र्वायरों में 20 फीसदी से भी कम पानी पाया गया. चेन्नई की तरह कुछ और जगह तो ये पूरी तरह सूखे हुए पाए गए. ये किसानों और आम लोगों के जीवन के लिए कतई अच्छी खबर नहीं है.

दुनिया भर में गर्मी की मार
साइंस एडवांसेज़ की रिसर्च में कहा गया है कि इस पूरे परिदृश्य का असर देश के लोगों की सेहत पर बुरी तरह पड़ सकता है. भारत के अलावा, दुनिया के दूसरे देश भी भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं, जिनमें कुवैत और अरब देशों का नाम शामिल है. यहां इस साल जून के महीने में पारा 55 डिग्री के स्तर को पार कर चुका है. फ्रांस में 45 डिग्री तापमान रह चुका है. अमेरिका, यूके और यूरोप के कई इलाकों में हज़ारों की संख्या में छात्रों ने जुटकर सरकारों से क्लाइमेट चेंज को लेकर आपातकालीन एक्शन लेने की मांग भी की.

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