बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू किए गए 82 फीसदी आरक्षण मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने आरक्षण को असंतुलित बताते हुए राज्य सरकार के अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ बताया है।
बिलासपुर के रहने वाले अधिवक्ता आदित्य तिवारी ने आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के फैसले में ये आदेश है कि किसी भी राज्य में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता है। इस आदेश में आरक्षण के लिए फार्मूला बनाया गया है जिसे ध्यान में रखते हुए आरक्षण नीति लागू करना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि 82 फीसदी आरक्षण से रोस्टर में सामान्य वर्ग के लिए जगह ही नहीं बची है। जिससे मध्यम वर्गीय सामान्य परिवार को सबसे ज्यादा नुकसान होगा।
बता दें कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में लोक पदों व सेवाओं और शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश में के लिए लागू आरक्षण (Reservation) को 58 से बढ़ाकर 82 फीसदी कर दिया गया है. इसके तहत अनुसूचित जनजाति वर्ग को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग को 12 की जगह 13 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 की जगह 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया गया है. वहीं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को भी अब 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाएगा. इसके विरोध में ही हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है.