स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्ते श्वरानंद ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इसमें संशोधन नहीं किया तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा.
अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ट्रस्ट गठन की घोषणा के दो दिन बाद, दशकों पुराने मंदिर आंदोलन में शामिल शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने खुद को शामिल नहीं किए जाने को लेकर आपत्ति जताई है, जिससे विवाद शुरू हो गया है. स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्ते श्वरानंद ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इसमें संशोधन नहीं किया तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा. शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने यहां वासुदेवानंद सरस्वती को ट्रस्ट में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्वरूपानंद को ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में मान्यता दी थी.

स्वरूपानंद सरस्वती ने एक बयान में कहा, “मैं ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य हूं. प्रधानमंत्री ने ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में अन्य व्यक्ति को नामित कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है. कोर्ट ने वासुदेवानंद को संन्यासी भी नहीं माना था.”