छत्तीसगढ़ सरकार ने खरीफ विपणन सत्र 2019-20 के लिए 85 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा है जबकि अब तक 68.4 लाख टन धान की सरकारी खरीद हो चुकी है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सरकार धान खरीद के इस लक्ष्य को हासिल कर सकती है। छत्तीसगढ़ में धान की खरीद 1 दिसंबर को शुरू हुई थी जो 15 फरवरी तक जारी रहेगी। छत्तीसगढ़ उन चुनिंदा राज्यों में है जहां किसानों से उनकी धान की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाती है। राज्य सरकार ने धान किसानों को बोनस का भी वादा किया है ताकि उन्हें उनकी उपज का प्रति क्विंटल 2,500 रुपये दाम मिल सके। राज्य सरकार की इस पहल से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पैसों का प्रवाह बढ़ेगा।खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अब तक धान की खरीद के एवज में किसानों को 11,973 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। यह राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में भेजी गई है। राज्य में इस बार करीब 19.52 लाख किसानों ने अपने धान की बिक्री के लिए सीमितियों में पंजीकरण कराया है। पिछले विपणन सत्र की तुलना में यह संख्या 2.56 लाख अधिक है। पंजीकृत किसानों में से 16 लाख किसानों ने सोसाइटियों को धान की बिक्री की है। उनमें से 13 लाख छोटे और सीमांत किसान हैं। धान की बिक्री करने वाले किसानों की संख्या भी पिछले साल की तुलना में अधिक है। खरीफ सत्र 2018-19 में 15.7 लाख किसानों ने सोसाइटियों को धान की बिक्री की थी। प्राधिकरण सीमावर्ती इलाकों पर कड़ी सतर्कता बरत रहा है ताकि पड़ोसी राज्यों से धान की आवक न हो सके। दरअसल राज्य में धान की ऊंची कीमत होने से बाहरी राज्यों से छत्तीसगढ़ में धान की आवक होने की आशंका है। अब तक धान के अवैध परिवहन के 4,280 मामले दर्ज किए जा चुके हैं और 45,930 टन धान जब्त की जा चुकी है।