बेमेतरा। मंगलवार की रात करीब नौ बजे स्थानीय कृषि उपज मंडी प्रांगण में जिले की तीनों विधानसभा सीटों की जमा ईवीएम की सुरक्षा में तैनात बीएसएफ जवान के पास मिले लैपटाप को कांग्रेसियों के हंगामे के पास अफसरों ने जब्त कर लिया। यहां पर बेमेतरा जिले साजा, नवागढ़ तथा बेमेतरा की ईवीएम मतदान के बाद के बाद स्ट्रांग रुम में इकट्ठा की गई है।
इसकी चौकसी के लिए बीएसएफ के 120 जवानों को तैनात किया गया है। वहीं स्ट्रांग रुम की निगरानी कांग्रेस उम्मीदवार व उनके प्रतिनिधि लगातार कर रहे हैं। हंगामा उस समय जब स्ट्रांग रूम के ठीक बगल वाले कमरे में बीएसएफ के जवानों के द्वारा लैपटॉप का उपयोग किया जा रहा था।

प्रशासन की अनुमति पर चौकसी कर रहे कांग्रेस उम्मीदवारों के अधिकृत लोगों को इसकी जानकारी मिली तो धीरे-धीरे यह घटना पूरे शहर में आग की तरफ फैल गई। काफी तादाद में कांग्रेसी तथा शहर के लोग मंडी प्रांगण के सामने एकत्रित होने लगे और हंगामा करने लगे।

इस बात की सूचना कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अधिकारियों को भी दी गई। घटनास्थल पर प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे और वस्तुस्थिति से अवगत हुए। अफसरों के निर्देश पर पुलिस ने लैपटॉप को फिलहाल अपनी अभिरक्षा में ले लिया है।

कांग्रेसियों ने कहा कि उस लैपटॉप को आखिर स्ट्रांग रूम के बगल वाले रूम में बीएसएफ जवान क्या कर रहे थे। जबकि किसी तरह की कोई अन्य डिवाइस की अनुमति उस परिसर में ले जाने की मनाही है।

कांग्रेस के प्रत्याशियों ने कहा कहीं न कहीं ईवीएम को हैंगिंग की तैयारी अवश्य ही की जा रही थी। बहरहाल पुलिस अभिरक्षा में रखे हुए लैपटॉप की बुधवार को विशेषज्ञों की जांच के बाद ही तय हो पाएगा कि आखिर उस लैपटॉप का उपयोग बीएसएफ जवानों द्वारा किस रूप में किया जा रहा था।

एसपी ने जवानों को किया कमरे से बेदखल

कांग्रेसियों के आरोप के बाद पुलिस अधीक्षक ने कार्रवाई करते हुए स्ट्रांग रूम के बगल वाले कमरे में जमे बीएसएफ के जवानों को ऊपर कमरे से बेदखल भी कर दिया है। बहरहाल पुलिस अभिरक्षा में रखें लैपटॉप का बुधवार को विशेषज्ञ से जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि आखिर उक्त लैपटॉप में क्या है तथा वहां क्यों रखा गया था।
स्ट्रांग रूम के भीतर से लैपटॉप बरामद होना चिंता का विषय है। यह निर्वाचन प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर कांग्रेस की जताई जा रही चिंताओं के सही होने का जीता जागता सबूत है। धमतरी और अब बेमेतरा की इस घटना के बाद समय आ गया है कि निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ में और गंभीरता से कदम उठाए जाएं।

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