भोपाल : प्रदेश में कोविड-19 (नोबल कोरोना वायरस) बीमारी के पॉजिटिव प्रकरण पाये गये हैं। इन प्रकरणों में निरंतर वृद्धि हो रही है। भोपाल शहर में चार पॉजिटिव प्रकरण पाये गये हैं। यह भी देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति भी पॉजिटिव पाये गये हैं जिन्होंने विदेश यात्रा नहीं की थी। अतः जिन क्षेत्रो में पॉजिटिव प्रकरण हैं उनके लिये भारत सरकार द्वारा कंटेनमेंट प्लान बनाया गया है।
संचालनालय स्वास्थ विभाग द्वारा जिला स्तर पर कोरोना वायरस संक्रमण को नियंत्रित करने के लिये कोविड कंटेनमेंट एक्शन प्लान बनाया गया है,जिन जिलो में पॉजिटिव केस रिपोर्ट हुये हैं। साथ ही ऐसे संदिग्ध व्यक्ति में कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण शुरू होने से दो दिवस पूर्व की समय-सीमा का पालन कर ट्रेसिंग किया जाना सुनिश्चित करें और चिन्हित पॉजिटिव के में फर्स्ट कॉन्टेनक्टे (प्रमुख संपर्क) के क्षत्र को चिन्हांकित कर कंटेनमेंट एरिया को मार्किंग करने के निर्देश दिये गये है।
लॉक डाउन के दौरान आमजनों को घरों में रहने हेतु निर्देशित कर इस संबंध में प्रचार किया जाये और लोगों को कम्युनिटी सर्विलेन्स द्वारा मॉनिटरिंग की जाए,आवश्यक होने पर मेडिकल मोबाईल युनिट या रेपिड रिस्पां स टीम संबंधित व्यक्तियों (जिन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण परिलक्षित हो रहे है) जांच हेतु सेम्पल कलेक्ट करें। लॉक डाउन किये गये क्षेत्र में रहवासियों का आवागमन न हो इस की सख्त निगरानी रखी जाये।
पॉजिटिव केस द्वारा विगत 15 दिनों में यदि किसी भी समारोह/आयोजनों में सम्मिलित हुआ है एवं उस समारोह/आयोजन की तारीख तथा वहां आए समस्त लोगों की सूची, सामाजिक स्थल जैसे मदिरा दुकान, मॉल, सिनेमाघरों में संपर्क में आए संभावित लोगों की लाईन लिस्ट को चिन्हित कर कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के चिन्हांकित फर्स्ट कान्टेक्ट का चिकित्सकीय परीक्षण आर.आर.टी./एम.एम.यू. द्वारा किया जाए। ए.आर.आई./आईएल.आई. रिपोर्टेड प्रकरणों पर सख्त निगरानी रखी जाये। जिला प्रशासन द्वारा स्वास्थ्य विभाग के अमले द्वारा एपीडमिक डिसिज एक्ट 1987 नियम में दिये गये प्रावधान के अंतर्गत आवश्यकता होने पर शासकीय अथावा निजी चिकित्सालय भवन कोरिनटाईन सेन्टर बनाया जाये।
सीसीटीव्ही केमरे द्वारा कन्टामिनेंट एरिया में आवाजाही न होने पाए इसकी निगरानी की जाये। विभागीय समन्वय के माध्यम से कंटेन्मेंट एरिया में संभावित संक्रमित लोगों की कान्टेक्ट ट्रेसिंग कर सेल्फ रिपोर्टेड एआरआई/एलआईएल प्रकरणों की जानकारी जिला कंट्रोल टीम को दी जाये तथा टेली काउंसलिंग द्वारा चिकित्सकीय परामर्श दिया जाये।