रायपुर। लॉक डाउन और COVID 19 पूरे विश्व में इंसानी हुकूमतों को हिलाने में लगे हुए है। लॉक डाउन का कदम सरकारों ने covid 19 को हराने के लिए चुना है जो सही है,परन्तु लॉक डाउन में सबसे ज्यादा प्रभावित जो वर्ग है वो है श्रमिक दैनिक कामगार।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर के आदेड गांव की जमलो मड़कम नौकरी काम धंधे की तलाश में दो महीने पहले तेलंगाना के पेरुर गांव गई थी। वहां उसे मिर्ची तोड़ने का काम भी मिल गया था। परन्तु लॉक डाउन के कारण वो काम बंद हो गया। कुछ दिन जब गुजरा नहीं हुआ तो जम्लो और कुछ मजदूर तेलंगाना से बीजापुर के लिए पैदल ही निकले। गर्मी और भूख से बेहाल जामलो जिसकी उम्र महज 12-13 वर्ष बताई जा रही है तीन दिन का सफ़र करीब 100 km पूरा करने के बाद जैसे ही कुछ दूरी पर घर पहुंचने वाली थी अपना दम तोड दिया। रास्ते में किसी प्रकार का इलाज प्रशासन अमला नहीं मिलने के कारण उसने अपना दम तोड़ दिया।
हालांकि मौत कि खबर लगते ही प्रशासन गांव में पहुंचा और एहतियात के तौर पर आए मजदूरों को क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है। वो अपने परिवार कि इकलौती बेटी थी।
आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ऑफिसियल ट्वीट पर पोस्ट कर जानकारी दी गई कि
मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार बीजापुर जिले के ग्राम आदेड़ की 12 वर्षीय जमलो मड़कम की मृत्यु हो जाने पर मुख्यमंत्री सहायता कोष से एक लाख रूपए की आर्थिक सहायता उनके परिवारजनों को उपलब्ध करायी जा रही है।