मुंबई। पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शेयर बाजार में तेजी के बावजूद प्रारंभिक पब्लिक ऑफर (आइपीओ) की सुस्त रफ्तार पर मंगलवार को चिंता जताई और निवेश बैंकरों को सुझाव दिया कि निवेशकों को आकर्षित करने के लिए वे आइपीओ में उनसे कम प्रीमियम वसूलें।

सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने 2018 में 60,000 करोड़ रुपये से अधिक के आइपीओ प्रस्ताव को मंजूरी दी है, लेकिन अक्टूबर अंत तक 24 कंपनियों ने आइपीओ के जरिए महज 30,959.07 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इनमें से भी अधिकतर आइपीओ मार्च तिमाही में आए। आइपीओ बाजार के लिए पिछले साल सबसे अच्छा रहा था।

प्राइम डाटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक उस साल 120 से अधिक कंपनियों ने आइपीओ के जरिए रिकॉर्ड 67,147.4 करोड़ रुपये जुटाए थे। इसी एजेंसी के मुताबिक 40 से अधिक कंपनियों को इस साल 60,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाने के लिए आइपीओ की मंजूरी मिल चुकी है। इसके अलावा 30 और कंपनियों ने सेबी के पास आइपीओ दस्तावेजों का ड्राफ्ट दाखिल किया है।

त्यागी ने निवेश बैंकरों के एक सम्मेलन में कहा कि आइपीओ का नहीं आना चिंता की बात है। यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्य मुद्दा प्राइसिंग का है, उन्होंने निवेशकों को ऐसे मूल्य तय करने का सुझाव दिया जो इश्यूअर्स और निवेशकों दोनों को आकर्षित कर सके।

उन्होंने एसएमई आइपीओ प्लेटफॉर्म को मिल रही सफलता पर खुशी जताई और कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष में अब तक इस प्लेटफॉर्म से 1,500 करोड़ रुपये जुटाए जा चुके है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में 800 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।

बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को जोसेफ मेसी पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया। मेसी मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के पूर्व सीईओ हैं। उन पर समय सीमा के अंदर शेयरों की बिक्री के बारे में डिस्क्लोज करने में असफल रहने के लिए जुर्माना लगाया गया है।

सेबी ने मेसी द्वारा प्रोहिबिशन ऑफ इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों का उल्लंघन सुनिश्चित करने के लिए अप्रैल 2012 से जुलाई 2013 के बीच एमसीएक्स के शेयरों पर जांच की थी। सेबी ने अपनी जांच में पाया कि मेसी तब एमसीएक्स के निदेशक थे। उन्होंने अलग-अलग सात मौकों पर एक्सचेंज के कुल 11,250 शेयर बेचे थे। लेकिन उन्होंने दो बार की गई बिक्री की सूचना देर से दी थी।

 

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