वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों और कर्मचारियों के अथक प्रयास से 18 जनवरी 2020 की रात रायसेन वन मंडल के गीदगढ़ से मरणासन्न हालत में लाया गया तेंदुआ आज पूर्णरूपेण स्वस्थ्य हो गया है। डॉ. अतुल गुप्ता और सहयोगी दल द्वारा तेंदुए को बचाने के लिये दिन-रात किये गये अथक प्रयासों के फलस्वरूप आज 4 महिने बाद तेंदुए को स्वस्थ्य एवं सुरक्षित हालत में रातापानी अभयारण्य में सुबह 9:25 बजे छोड़ दिया गया।
यह तेंदुआ गीदगढ़ में तारों में बुरी तरह फंस गया था। लाते समय इसकी हालत अत्यंत गंभीर थी। छाती एवं पेट पर चारों ओर पूरी गोलाई में कंधे के नीचे काफी गहरे घाव थे, जो कि फेंसिग वायर के कसे होने के कारण काफी गहरे हो गये थे। तेंदुए द्वारा तारों में फंस जाने पर निकलने के पुरजोर प्रयास के कारण घाव और ज्यादा गंभीर होते चले गए। डॉ. अतुल गुप्ता के नेतृत्व में रेस्क्यू टीम इसे लेकर आधी रात में भोपाल वन विहार पहुँची और तत्काल चिकित्सा आरंभ की गई।
तेंदुए को वन-विहार के वन्यप्राणी चिकित्सालय के इंडोर वार्ड में रखा जाकर सीसीटीवी के माध्यम से 24 घंटे निगरानी की गई। घाव इतने गंभीर थे कि तेंदुए ने शुरू के 13 दिन तक कुछ भी नहीं खाया। डॉ. गुप्ता ने सेलाईन और पानी के दम पर उसे जीवित रखा। इतनी कठिन परिस्थिति में भी उसको 2 बार बेहोश कर सर्जरी करनी पड़ी। सतत् उपचार और गहन देख-भाल के परिणाम स्वरूप धीरे-धीरे यह तेंदुआ बिल्कुल स्वस्थ्य हो गया।
संचालक श्रीमती कमलिका मोहंता के अनुरोध पर स्वास्थ्य परीक्षण के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) ने तेंदुए को प्राकृतिक समकक्ष रहवास में छोड़ने के निर्देश दिए। पंचगणों की मौजूदगी में बरखेड़ा परिक्षेत्र की पांझिर बीट में आज तेंदुए को छोड़ दिया गया।