भोपाल . उपचुनाव की घोषणा कभी भी राज्यसभा चुनाव के बाद हो सकती है। शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार अब राज्यसभा चुनाव के बाद ही होगा ,ऐसी सम्भावना ज्यादा है। केंद्रीय नेतृत्व ने सिंधिया को भाजपा में शामिल कराकर कमलनाथ सरकार को गिरा तो दिया परन्तु चम्बल ग्वालियर क्षेत्र की सीटें जो एमपी में सरकार बनाने और गिराने की ताकत रखती है इस उपचुनाव में 16 सीटों पर जीत ही सत्ता पाने का रास्ता तय करेगा।

जातिगत वोटो पर ध्यान दिया जाए तो इस क्षेत्र में काफी हद तक ब्राह्मण और ठाकुर ही मतदाता को प्रभावित करते है। इस क्षेत्र में हर एक विधानसभा सीट जाति समीकरण को ध्यान में रखकर टिकट बांटे जाते है। भाजपा नेता सिंधिया के उम्मीदवारों का टिकट इस क्षेत्र से फाइनल है परन्तु कांग्रेस के उम्मीदवार अभी लाइन में है। भाजपा और कांग्रेस दोनों भीतरघात से बचने अपने वरिष्ठ नेताओं और पूर्व मंत्रियों को साधने में लगी हुई है।

ग्वालियर क्षेत्र से बालेंदु शुक्ल की कांग्रेस वापसी ब्राह्मण वोटर पर नजर

माधवराव के निधन के बाद बालेंदु शुक्ल के ज्योतिरादित्य सिंधिया से ताल्लुकात अच्छे नहीं रहे, या कहे उम्र का फैसला और नयी सोच में ताल मेल ठीक कभी नहीं बैठा। जिस वजह से शुक्ल ने कांग्रेस छोड़ी और 2008 विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से टिकट लेकर चुनाव लड़ा परन्तु उसी सीट से रश्मि पवार कांग्रेस की टिकट पर लड़ी ब्राह्मण – ठाकुर वोटो का बंटवारा हुआ और भाजपा को फायदा । बाद में शिवराज सरकार ने उन्हें राज्य सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग अध्यक्ष का बनाया।
कांग्रेस ने बालेंदु को फिर से ज्वाइन कराकर भले ही सिंधिया खेमे को कमजोर करने की प्लानिंग की हो, परन्तु कांग्रेस के अंतर कलह को बढ़ा दिया है। ग्वालियर चम्बल के कई कांग्रेसी ब्राह्मण चेहरे भीतरघात लगाकर भाजपा को ही फायदा पहुंचाने का प्रयास करेंगे। ग्वालियर में सुनील शर्मा , अशोक शर्मा, ग्वालियर विधानसभा टिकट के लिए प्रयासरत है। ग्वालियर पूर्व से देवेंद्र शर्मा जिलाध्यक्ष, वासुदेव शर्मा, बृजेन्द्र तिवारी आदि को अब बालेंदु के ज्वाइन करने से निराशा  नजर आने लगी है।

कमलनाथ, सिंधिया के गढ़ में सेंध मारने का भरपूर प्रयास करने में लगे हुए है परन्तु जो सिंधिया का दामन छोड़ कर नहीं गए उनकी निष्ठा को ना देखकर किसी और को अगर टिकट देते है तो पार्टी में फ़ूट जरूर होंगी इसका डैमेज कण्ट्रोल कमलनाथ को बहुत सोचसमझकर करना होगा। चम्बल क्षेत्र के कद्दावर नेता सत्यदेव कटारे के पुत्र हेमत कटारे, चौधरी राकेश सिंह , राकेश मावई , वृंदावन सिंह सिकरवार , दिमनी से बृजराज सिंह तोमर आदि नेताओ को भी साधना जरुरी है।

कांग्रेस ने सबसे अधिक ब्राह्मणो को दिए थे टिकट
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ग्वालियर चम्बल क्षेत्र में 6 टिकट ब्राह्मणो को और 9 टिकट ठाकुरों को दिए थे। वहीँ भाजपा ने 5 ब्राह्मणो को और 6 ठाकुरों को प्रत्याशी बनाया था ।

भाजपा की अंतरकलह को साधने नरोत्तम को  कमान
प्रदेशाध्यक्ष बी डी शर्मा ने जब से ग्वालियर जिला अध्यक्ष कमल माखीजानी को बनाया है तभी से ग्वालियर में कार्यकर्ताओ और वरिष्ठों में विरोध नजर आने लगा है। वर्षो से भाजपा के लिए काम करने वाले वरिष्ठ नेता जय सिंह कुशवाहा, अशोक जादौन , देवेश शर्मा , गजेंद्र राठौर, सोनू मंगल , रिंकू परमार आदि की नाराजगी पार्टी अंतरकलह को पैदा कर रही है। अनूप , पवैया , माया सिंह, प्रभात झा जैसे वरिष्ठों को साधने नरोत्तम को कमान दी है।

वेद प्रकाश शर्मा पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष भाजपा की उपेक्षा भी ग्वालियर चम्बल क्षेत्र में भाजपा को नुक़सान पंहुचा सकती है। इनका चम्बल में भी खासा प्रभाव मतदाता वर्ग को प्रभावित करता है।

हाल ही में कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का नरोत्तम के घर  चाय पर शिष्टाचार मुलाकात से ये संकेत तो साफ़ हो गया है कि भाजपा में उपचुनाव लिस्ट और मंत्रिमंडल विस्तार दोनों को लेकर  कोई बड़ा बदलाव चौकाने वाला होगा।