राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से आज यहां राजभवन में अखिल भारतीय वन सेवा (2018 बैच) के प्रशिक्षु अधिकारियों ने भेंट की। राज्यपाल ने कहा कि आदिवासियों की आजीविका वनों से जुड़ी हुई है और वे वनों के संरक्षक भी हैं। अतः उनके साथ अत्यंत संवेदशीलता और सकारात्मक सोच के साथ व्यवहार किया जाना आवश्यक है। छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के साथ ही अत्यधिक वनाच्छादित प्रदेश भी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुछ क्षेत्र पांचवी अनुसूची के तहत भी आते हैं। अतः अधिकारियों के समक्ष वनवासियों का जीवन बेहतर करने एवं वनों को संरक्षित करने की चुनौतियां भी रहेंगी। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी, राज्यपाल के सचिव श्री सोनमणि बोरा उपस्थित थे।
राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में वन अधिकार मान्यता पत्र देने में अच्छा कार्य हुआ है। साथ ही सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्र दिये जाने के संबंध में भी और ठोस कार्य किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में अनेकानेक वनौषधियां पाई जाती हैं। इनका संरक्षण किया जाना चाहिए। इसे आदिवासियों के आय का जरिया भी बनाया जा सकता है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि प्रदेश में संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के जरिए वनों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु अच्छे प्रयास किये जा रहे हैं। राज्यपाल को प्रशिक्षु अधिकारियों ने बागवानी संबंधी पुस्तकें भेंट की। अधिकारियों को राजभवन की काफी टेबल बुक ‘नई सोच-नई पहल’ की प्रति भेंट की गई। इस अवसर पर उप वन संरक्षक श्री पंकज राजपूत, प्रशिक्षु अधिकारियों में श्री आलोक कुमार वाजपेयी, श्री शशि कुमार, श्री तेजस शेखर, श्री दिनेश कुमार पटेल उपस्थित थे।