मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने राज्य में बारहमासी खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से खुले में चराई की प्रथा पर रोक लगाने तथा पशुधन प्रबंधन की व्यवस्था को बेहतर करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों, किसानों और पंचायत पदाधिकारियों को गांव में बैठक कर पशुओं के ‘रोका-छेका‘ की व्यवस्था सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि इससे फसलों को होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने नगरीय इलाकों विशेषकर सड़कों पर घूमने वाले आवारा मवेशियों पर भी कड़ाई से प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि 30 जून के बाद सड़कों पर घूमते पाये जाने वाले पशुओं के मालिकों पर नियमानुसार कार्रवाई की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय के सभाकक्ष में कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया तथा मुख्यमंत्री के ग्रामीण विकास सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा की मौजूदगी में कृषि, पंचायत ग्रामीण विकास विभाग एवं नगरीय प्रशासन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि ‘रोका-छेका‘ छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा रही है, परंतु समय के साथ इस पुरानी परंपरा के पालन में कमी आई है, जिसकी वजह से खरीफ की फसलों को नुकसान पहुंचने के साथ ही उतेरा और उन्हारी की खेती भी प्रभावित हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उतेरा और उन्हारी की खेती किसानों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया हुआ करती थी। उन्होंने कहा कि राज्य में बारहमासी खेती को बढ़ावा देने के लिए पशुओं का प्रबंधन  (रोका-छेका) जरूरी है। उन्होंने कहा कि गांव में गौठानों का निर्माण भी इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया गया है। उन्होंने गौठानों में पशुओं के रख-रखाव के लिए बेहतर व्यवस्था करने के साथ ही गौठान समितियों को सक्रिय करने की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि 19 जून से लेकर 30 जून तक सभी गांवों में बैठक आयोजित कर पशुओं के रोका-छेका की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने प्रत्येक गांव में रोका-छेका हेतु बैठक आयोजन से लेकर व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु ग्रामवार अधिकारियों की ड्यूटी लगाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने गांवों में निर्मित गौठानों की मरम्मत के लिए जिलों को गौठानों की संख्या के मान से आवश्यक राशि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों में निर्मित होने वाले गौठानों में एक कमरा और शेड का निर्माण कराया जाना चाहिए, ताकि यहां पशुओं के उपचार आदि के लिए पशु चिकित्सकों के बैठने तथा आवश्यक दवाएं, उपकरण एवं अन्य सामग्री को सुरक्षित रखने की व्यवस्था हो सके। गौठानों में शेड का निर्माण होने से आर्थिक गतिविधियों का संचालन बेहतर तरीके से हो सकेगा। बैठक में गौठानों के संचालन और चरवाहे को दिए जाने वाले मानदेय के संबंध में भी विस्तार से चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक गौठानों को राज्य शासन द्वारा हर माह 10 हजार रूपए का अनुदान दिया जा रहा है। गौठान समिति इस उपयोग एवं चरवाहे के मानदेय के बारे में यथोचित निर्णय ले सकेगी।

मुख्यमंत्री ने नगरीय इलाकों विशेषकर रायपुर एवं दुर्ग में गौठान के निर्माण के लिए आवश्यक राशि नगरीय प्रशासन विभाग को दिए जाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठान स्थापना के लिए रायपुर में विधानसभा के पास 12 एकड़ भूमि तथा गौशाला के पास लगभग 300 एकड़ भूमि है। उन्होंने कहा कि शहरी ईलाकों में इस बात की मुनादी की जानी चाहिए कि 30 जून तक मवेशी पालक अपने मवेशियों के रख-रखाव का उचित प्रबंध सुनिश्चित कर लें अन्यथा इसके बाद शहरों एवं सड़कों पर खुले में घूमने वाले पशुओं को नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा गौठानों में रखने की व्यवस्था की जाएगी और संबंधित पशुपालकों पर नियमानुसार जुर्माने की कार्रवाई भी की जाएगी।

बैठक में कृषि मंत्री  रविन्द्र चौबे एवं नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने गौठानों की व्यवस्था को बेहतर बनाने के संबंध में उपयोगी सुझाव दिए। कृषि मंत्री श्री चौबे ने प्रथम चरण में प्रत्येक ब्लॉक की पांच-पांच गौठानों को चिन्हित कर वहां आजीविका शेड का निर्माण प्राथमिकता से कराए जाने की बात कही। बैठक में मुख्य सचिव श्री आर.पी. मंडल, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्री गौरव द्विवेदी, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम.गीता, सचिव नगरीय प्रशासन श्रीमती अलरमेल मंगई डी एवं मुख्यमंत्री की उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया उपस्थित थीं।