पाली-चैतमा (कोरबा) . जिले के ग्राम रामाकछार के रीवांदह पारा में दिलीप लाल (25) ने मां सुमरिया बाई (50) की बसूला मारकर हत्या कर दी। ऐसा दिलीप ने किया इसलिए कि उसने सपने में देखा था मां टोनही है और पिता व छाटे भाई की मौत की जिम्मेदार है।
दिलीप के पिता रामू यादव उर्फ रामलाल और छोटे बेटे संदीप की कुछ साल के अंतराल में ही मौत हुई थी। दोनों की मौत के बाद दिलीप तंत्र-मंत्र के चक्कर में पड़ गया था। घर में एक जगह उसने साधना स्थली बना ली थी।
31 दिसंबर 2018 को सुबह करीब 10.30 बजे उसने मां सुमरिया की घर पर ही टंगिया मारकर हत्या कर दी, फिर शव से जमीन पर बह रहा खून पीने लगा।
इस दौरान पड़ोस में रहने वाली समारिन बाई (65) पति समार साय का वहां पहुंचना हुआ, उन्होंने दिलीप को नरभक्षी जैसी हरकत करते देख लिया। घबराकर वह चुपचाप लौट गईं, लेकिन 3 दिन खामोश रहने के बाद गुरुवार को उन्होंने परिवार को घटना के बारे में बताया। जिसके बाद परिजन और ग्रामीण रात 8 बजे समारिन बाई के साथ पाली थाना व चैतमा चौकी पहुंचे।
शुक्रवार सुबह पुलिस मौके पर पहुंची। जहां घर के परछी में चूल्हे की राख के बीच सुमरिया बाई की अस्थियां मिलीं। कमरे के अंदर दीवार पर खून के छींटे और साधना स्थल पर मां का मांस रखा हुआ था। हत्या में इस्तेमाल की गई टंगिया भी जब्त कर ली गई है। आरोपी दिलीप फरार है।
साधना सिद्धि-बली की बातें करता था, 2 साल पहले पत्नी माइके गई : ग्रामीणों के मुताबिक दिलीप की तंत्र-मंत्र में पड़ने के बाद अजीब हरकत करने लगा था। वह सपने में कुछ-कुछ दिखने व साधना सिद्धी के लिए बलि देने की बात करता था। पति की हरकतें देख पत्नी 2 साल पहले उसे छोड़ मायके चली गई। जिसके बाद न वह लौटी और न दिलीप उसे लेने गया।
मां को टोनही कहता था :
सुमरिया बाई खेतों में काम कर घर चलाती थीं। दिलीप अक्सर उसे टोनही कहता था। बेटे की हरकतों से वह भी परेशान थीं। -पुनीलाल, पड़ोसी
आरोपी फरार है, तंत्र-मंत्र की किताबें पढ़ता था
दिलीप ने हत्या कर शव जला दिया था। मौके से हत्या में इस्तेमाल टंगिया, जली हुई अस्थियां, तंत्र-मंत्र की किताबें मिली हैं। फरार आरोपी की तलाश की जा रही है। संभवत: तंत्र-मंत्र की किताबें पढ़कर ही दिलीप साधना कर रहा था। -संदीप मित्तल, एसडीओपी, कटघोरा
प्रत्यक्षदर्शी का पुलिस में बयान- दिलीप ने खाट पर बैठी मां के सिर व सीने पर वार कर मार डाला
सुमरिया बाई खाट पर बैठी थीं। तभी दिलीप ने टंगिया से उनके सिर व सीने पर वार किया। फिर वह नीचे बह रहे खून को हाथों में लेकर दिलीप पीने लगा। यह मैं बहुत डर गई थी और वहां से भाग गई। रास्ते में मैंने सहेली फूलकुंवर को घटना बताई और घर आ गई। 1 जनवरी की शाम को मेरा दामाद सुमार सिंह आया।
उसे देखकर हिम्मत आई और उसे सारी बात बताई। अंधेरा हो गया था, इसलिए अगले दिन 3 जनवरी को सुमार ने पंच टेकाम, रामसाय को घटना बताई। सभी पसान थाने के ग्राम कांशीमुड़ा में रहने वाले मृतका के जेठ किशुन लाल यादव के पास गए और उन्हें साथ लाए। फिर गांव के कुछ लोगों को साथ लेकर फिर मृतका के घर गए।
सबको यह डर लग रहा था- कहीं दिलीप हथियार के साथ वहां न हो। किसी तरह घर में गए तो देखा धान कोठार में मृतका के शव के अवशेष पड़े थे। फिर सभी पाली थाना आए। -जैसा प्रत्यदर्शी समारिन बाई ने पुलिस को अपने बयान में बताया