ऑनलाइन डेस्क।उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित आदिवासी आवासीय , कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ‘‘कीस ‘‘तथा कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ  इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी ‘‘कीट ‘‘ के संस्थापक व उड़ीसा से कंधमाल लोकसभा के सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत बहुत ही सहज, मृदुभाषी, सरल स्वभाव, कर्मवीर व मिलनसार आत्मीय, सन्त किसी भी पहचान के मोहताज नहीं, उनकी पहचान ही काफी है उनके व्यक्तित्व को सम्मान देने के लिए। सांसद प्रो. अच्युत सामंत विनम्र सादगी और सदाचार की प्रतिमूर्ति तो हैं ही उनका सारा जीवन आदिवासियों के जीवन के लिए समर्पित हैं। बहुमुखी और अपार धन सम्पदा के मालिक होते हुए भी सांसद सामंत एक साधारण व्यक्ति सा जीवन अपने दो कमरों के किराए के मकान में व्यतीत कर रहे है। सादा जीवन उच्च विचारों के धनी प्रो अच्युत सामंत ने आदिवासियों के जीवन के उत्थान को अपना उद्देश्य बना लिया है।उनकी हर सम्भव मदद करने के लिए हमेशा खड़े रहते है।

बचपन में ही अपने पिता को खोने वाले अच्युत सामंत ने अपनी माँ को प्रेरणास्रोत बनाया और हमेशा संघर्ष किया।जीवन के आरंभ के 25 साल संघर्ष करते हुए अपने आपको स्वावलांबी बनाने में व्यतीत हुए तथा शेष 25 साल से अब तक आदिवासी समाज एवं लोकसेवा में व्यतीत हुए है । प्रो. सामन्त ने अपनी लगन, मेहनत से उच्च शिक्षा ग्रहण की और महान शिक्षाविद बने। अपने व्यक्तित्व के अनुसार उन्होंने शिक्षा के मार्ग को अपनाया और आम जन को भी समर्पित किया। हमेशा से समाज के हाशिये पर रहने वाले आदिवासी समाज के लिए शिक्षा का महत्व समझते रहे उनके मार्गदर्शक बने रहे।
प्रसिद्ध चैनल सोनी टेलिविजन पर प्रसारित होने वाले ‘‘कौन बनेगा करोड़पति ‘‘ में जिसे सदी के महानायक श्री अमिताभ बच्चन मेजबानी करते है उसमें ‘‘कर्मवीर योद्धा‘‘ के रूप में इन्हें सम्मान मिला। इस कार्यक्रम में उपस्थित हो कर अपनी शिक्षा के प्रति लगाव और जानकारियों से भी एक अलग पहचान बनाई। अपनी भावनाओं के अनुरूप उनको मिले मानपत्र में लिखा गया ‘‘समर्पण के प्रतीक ‘‘ मानवता की बेहतरीन मिशाल में उनका कहना है वो कर्म ही जीवन है जिसमे धर्म है।
कोरोना की वैश्विक महामारी में भी सांसद ने ओड़िसा के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक जी के साथ मिलकर लोगो की हर संभव मदद की, खासकर आदिवासिओ के लिए हर जरूरत की चीजें, रासन लगातार उपलब्ध कराई जा रही है, चार -चार कोविड हॉस्पिटल खोले गये, जहाँ सभी वर्गों का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। साधु -संतों , महात्माओ ओर भिक्षुओं को विशेष रूप सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई । खास कर आदिवासिओ के बच्चों को मुफ्त शिक्षा, पाठ्यपुस्तक व पाठन सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। इनके संस्थान में 30 हजार आदिवासिओ के बच्चों छात्रो को मुफ्त शिक्षा बचपन स्कुल से पोस्टगे्रडुएट तक दी जाती है।
प्रो सामंत ने आर्ट ऑफ गवर्निंग एवम ‘‘आर्ट ऑफ एप्रिसिएशन‘‘ की कला सीखी और 1992-93 में ‘‘कीट ओर कीस ‘‘ की स्थापना की जिनकी मेहनत से देश भर में प्रथम विश्वविधायलो में शुमार है।
आदिवासी समाज की शिक्षा को प्रथम स्थान दिया, उनके लिए उच्च तकनीकी और टेक्नोलॉजी से लेकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी प्रावधान किया गया वही उनको आवासीय स्थान भी उपलब्ध कराया। आज भी कई दर्शन उनको अपना आदर्श मानते है।उनको भलीभांति जानकारी है कि व्यक्तित्व और सम्यक विकास की क्या परिभाषा है।
कवि स्व रामचंद्र शुक्ल को वह अपने श्रद्धा के फूल मानकर तीन बातो पर विशेष ध्यान देते है, प्रो अचुयत सामन्त। सामन्त का जीवन ऐसा है कि जो एक बार उनसे मिल लेता है उनका हो कर रह जाता है। धार्मिक रीति रिवाजों के साथ सामाजिक एवम राजनीतिक का भी पूरी तन्मयता से पालन करते है।
अपने खर्चे से 25 हिंदू देवालयों बनवाये ओर कइयों में सहयोग दिया। प्रो अचुयत सामन्त आध्यात्मिक जीवन यापन करने वाले उच्च व्यक्तिव के धनी आदिवासी समाज के लिए किसी मसीहा से कम नही हैं, उन्होंने अपनी सोच को सकारात्मक बनाने का भरपूर प्रयास किया वही अपने जीवन दर्शन ‘‘आर्ट ऑफ गिविंग ‘‘को अपनाते हुए अपने जीवन को उज्ज्वल बनाया है।उनके दिव्य विचार हर किसी को समोहित कर देते हैं।