कामत कमिटी की सिफारिशों के बाद कमिटी के चेयरमैन के वी कामथ ने एक चैनल को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया। के वी कामथ ने साफ कहा है कि RBI ने बैंकों को पूरी आज़ादी दी है। उनका कहना है कि जिस साल कंपनी तकलीफ़ में है उस साल क़र्ज़ की किस्तें कम करनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि नियम बनाते वक्त इंडस्ट्री से बात की गई है। RECAST स्कीम का कर्जदार को पूरा फायदा मिले इसका ख्याल रखा गया है। बैंकों के हितों का भी ख्याल रखा गया है। RBI ने बैंकों को काफी अधिकार दिए हैं।
मीडिया चैनल को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में केवी कामथ ने आगे कहा कि पिछली 2 तिमाही पर कोरोना का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है। GDP में करीब 25 फीसदी की गिरावट मेरे लिए आश्चर्य की बात नहीं है। कोरोना से पहले भी इंडस्ट्री पर दबाव था। उन्होंने आगे कहा कि कई ऐसे मामले जहां कंपनियां भुगतान में असमर्थ हैं। RBI ने बैंकों के लिए काफी गुंजाइश छोड़ी है। भुगतान के लिए बैंकों को लोन रीकास्ट करना होगा। कुछ मामलों में जटिल रीस्ट्रक्चरिंग की जरुरत होगी। रीकास्ट मामले में अगले साल तक काफी स्पष्टता आ जाएगी। इकोनॉमी रिकवरी की स्थिति बेहतर है। एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशों में MSMEs शामिल नहीं है। असंगठित क्षेत्रों में नौकरियां फिर से तैयार हो रही हैं।