मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल के निर्देशानुसार राज्य के सभी स्कूली बच्चों को कोरोना संक्रमण काल में भी मध्यान्ह भोजन योजना के अंतर्गत सूखा राशन का वितरण किया जा रहा है। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने बताया कि राज्य शासन के निर्णय अनुसार कोविड-19 के संक्रमण के चलते शालाओं के बंद रहने की अवधि 11 अगस्त से 31 अक्टूबर तक कुल 63 दिनों का मध्यान्ह भोजन का सूखा राशन स्कूली बच्चों को खाद्य सुरक्षा भत्ता के रूप में वितरण किया जाएगा। सूखा राशन सामग्री का वितरण सुविधानुसार स्कूल में अथवा घर-घर पहुंचाकर देने के निर्देश दिए गए हैं। वितरण के दौरान बच्चों या पालकों के मध्य सामाजिक दूरी बनाए रखी जाएगी। इस संबंध में संचालक लोक शिक्षण श्री जितेन्द्र शुक्ला ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
लोक शिक्षण संचालनालय से जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी निर्देश में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा 29 अगस्त 2020 में कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण काल में अनलॉक-4 के संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किया गया है। इस आदेश में 30 सितम्बर 2020 तक शालाओं को बंद रखे जाने का निर्देश दिया गया है। अतः खाद्य सुरक्षा भत्ता के रूप में बच्चों को सूखा चावल एवं कुकिंग कास्ट की राशि से अन्य आवश्यक खाद्य सामग्री – दाल, तेल, सूखी सब्जी इत्यादि वितरित किया जाना है।
सूखा राशन सामग्री वितरण हेतु जारी निर्देश में कहा गया है कि मध्यान्ह भोजन योजना की गाईडलाइन के अनुसार कक्षा पहली से आठवी तक के उन बच्चों को जिनका नाम शासकीय शाला, अनुदान प्राप्त अशासकीय शाला अथवा मदरसा-मकतबा में दर्ज है, मध्यान्ह भोजन दिया जाए। सूखा राशन वितरण में बच्चों को चावल, दाल एवं तेल की मात्रा भारत सरकार द्वारा निर्धारित मात्रा से कम नहीं होनी चाहिए। बच्चों को प्रदाय की जाने वाली सामग्रियों को पृथक-पृथक सील बंद पैकेट बनाकर प्रति छात्र सभी सामग्रियों का एक बड़ा पैकेट बनाया जाए। वितरित की जाने वाली खाद्य सामग्रियां उच्च गुणवत्ता की होनी चाहिए। गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सामग्रियों की पैकिंग के पूर्व और पैकिंग के बाद के फोटोग्राफ लिए जाए। सामग्री के ब्रांड से संबंधित फोटोग्राफ और सामग्री नमूनार्थ एक माह तक के लिए रखी जाए। जिससे किसी प्रकार की शिकायत होने पर गुणवत्ता के संबंध में जांच की जा सके। सूखा राशन वितरण के संबंध में प्रत्येक शाला में बच्चों को वितरित होने वाली सामग्रियों की गुणवत्ता एवं मात्रा सुनिश्चित करने हेतु सामग्री वितरण के लिए जिला स्तर पर इस प्रकार कार्ययोजना बनाई जाए जिससे इसकी सूक्ष्म मॉनिटरिंग की जा सके।
शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्राथमिक स्कूलों में 63 दिनों के लिए प्रति छात्र चावल 6300 ग्राम, दाल 1260 ग्राम, आचार 500 ग्राम, सोयाबड़ी 630 ग्राम, तेल 315 ग्राम और नमक 400 ग्राम प्रदाय किया जाना है। इसी प्रकार माध्यमिक स्कूलों में 63 दिनों के लिए प्रति छात्र चावल 9450 ग्राम, दाल 1890 ग्राम, आचार 750 ग्राम, सोयाबड़ी 945 ग्राम, तेल 500 ग्राम और नमक 600 ग्राम प्रदाय किया जाना है। स्कूलों के लिए चावल पूर्व की तरह ही उचित मूल्य की दुकान के माध्यम से प्रदाय किया जाएगा।
कोविड-19 के कारण छत्तीसगढ़ में समस्त स्कूल बंद है, इसके चलते बच्चों का मनोबल बढ़ाने के लिए राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा लगातार कई प्रकार की पहल की जा रही है। इसी कड़ी में आज रविवार को राज्य साक्षरता प्राधिकरण के सहायक संचालक श्री प्रशांत पाण्डेय द्वारा व्यक्तित्व विकास विषय पर आयोजित विशेष सत्र में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यदि जीवन में सफल  होना है तो जूनून के साथ बिना रूके कार्य करना होगा। बाधाएं कितनी भी आए हमें निरन्तर लक्ष्य को ध्यान में रखकर कदम बढ़ाना होगा। कोरोना काल एक ओर जहां संकट का समय है, वहीं दूसरी ओर कार्य करने का अवसर भी है।
श्री पाण्डेय ने बताया कि जीवन में सफलता के लिए 6 सूत्र-स्वास्थ्य, परिवार, कैरियर, समाज, मस्तिष्क एवं आत्मा आवश्यक है। माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा आयोजित इस विशेष सत्र में प्रदेश भर से 3 हजार विद्यार्थियों ने भाग लिया। उन्होंने पावर पॉइंट प्रजेंटेशन एवं जीवन में बदलाव लाने वाले वीडियो क्लिपिंग के जरिए रोचक ढंग से दी गई प्रस्तुति को यू-ट्यूब में लाइव देखा गया। प्रस्तुतिकरण में बताया कि व्यक्तित्व विकास के लिए सैकड़ों तरीके एवं टूल्स हैं पर सबसे पहले हमे सफलता के 6 सूत्र पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। वर्तमान परिवेश में स्वास्थ्य, परिवार, कैरियर पर ध्यान केन्द्रित कर समाज में पहल करते हुए सामाजिक रूप से सक्षम बनना और अपनी बु़िद्ध (मस्तिष्क) का उपयोग करते हुए विचारों को शुद्ध करना आवश्यक है। श्री पाण्डेय ने उदाहरण देते हुए बताया कि सफल व्यक्तियों ने जिंदगी में उतार-चढ़ाव का सामना करते हुए सफलता प्राप्त की और हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत बनें।