मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने राज्य शासन द्वारा प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्वीकृत किए गए स्कूलों में अध्ययन-अध्यापन की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन स्कूलों की अधोसंरचना को बेहतर बनाने के साथ ही यहां पर बच्चों को उच्च क्वालिटी की शिक्षा मिले इस पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए। इंग्लिश मीडियम स्कूलों में आवश्यक अधोसंरचना के निर्माण के लिए डीएमएफ मद की राशि की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय में शिक्षा विभाग द्वारा स्वीकृत एवं संचालित स्कूलों की व्यवस्था की अद्यतन स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में स्कूल शिक्षा मंत्री डाॅ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री राजेश तिवारी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डाॅ. आलोक शुक्ला, मुख्यमंत्री के सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी,संचालक लोक शिक्षण श्री जितेंद्र शुक्ला , उप सचिव सुश्री सौम्या चैरसिया सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के जिला मुख्यालयों में स्वीकृत एवं संचालित शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूलों में बच्चों के दाखिला को लेकर मिले रूझानों पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि इन स्कूलों में एडमिशन के लिए पालक एप्रोच करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूलों से कमतर न हो। यही इसकी सफलता पर मापदंड होगा। उन्होंने कहा कि शुरूआती दौर में हमारी मंशा प्रत्येक जिला मुख्यालय में एक शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू करने की थी, जो बाद में बढ़कर 40 हो गई। पालकों एवं बच्चों की डिमांड तथा स्थानीय प्रशासन के उत्साह के चलते अब यह संख्या बढ़कर 51 हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी शिक्षा सत्र से राज्य के सभी ब्लाॅक मुख्यालयों में शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू करने शासन की मंशा है। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को 51 स्कूलों में अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही आगामी शिक्षा सत्र से ब्लाॅक मुख्यालयों में शुरू होने वाले 146 इंग्लिश मीडियम स्कूलों के लिए भी समानांतर प्लानिंग के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के प्राचार्यों एवं शिक्षकों की नियुक्ति एवं उनके प्रशिक्षण पर विशेष रूप से ध्यान देने की बात कही।
बैठक के प्रारंभ में स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डाॅ. आलोक शुक्ला ने पावरपाइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूलों में हो रहे अधोसंरचना विकास के कार्यों सहित इसके विस्तृत प्लान, प्राचार्यों की प्रतिनियिुक्त एवं शिक्षकों की भर्ती के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य में 51 शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूलों की स्वीकृति दी गई है, जिसमें दुर्ग जिले में सर्वाधिक 10, बलरामपुर जिले में 4, रायपुर, कोरबा और बिलासपुर में 3-3, जांजगीर-चांपा, बेमेतरा, कोरिया, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही एवं सरगुजा में 2-2 तथा शेष जिलों में 1-1 स्कूल स्वीकृत किए गए हैं। उन्होंने इन स्कूलों में विज्ञान विषयों के प्रयोगशाला, लाइब्रेरी, म्यूजिक एवं आर्ट रूम, रोबोटिक्स लैब, कम्प्यूटर एवं लेंग्वेज लैब, खेल मैदान एवं इंडोर गेम की व्यवस्था के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्कूलों में उपलब्ध स्थान को ध्यान में रखते हुए लेबोटरी, लाइब्रेरी एवं खेल के लिए बेहतर अधोसंरचना का निर्माण हो सके। उन्होंने बताया कि इंग्लिश मीडियम स्कूलों के लिए प्राचार्य की प्रतिनियुक्ति पर पदस्थापना का कार्य लगभग पूर्ण कर लिया गया है। शिक्षकों की भर्ती स्कूल समितियों द्वारा की जा रही है। उन्होंने बताया कि स्कूलों के लिए योग्य एवं अनुभवी प्राचार्य एवं शिक्षक की भर्ती की जा रही है। अक्टूबर माह के अंत तक भर्ती की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। बैठक में जानकारी दी गई कि शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूलों में 27 हजार 741 बच्चों का दाखिला दिया गया है और इनकी आॅनलाइन क्लास भी शुरू हो चुकी है। इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अधोसंरचना का कार्य 128 करोड़ रूपए की लागत से तेजी से कराया जा रहा है। उन्होंने अधोसंरचना विकास के लिए 81 करोड़ रूपए की आवश्यकता बताई और मुख्यमंत्री से इस राशि को डीएमएफ मद से उपलब्ध कराए जाने का आग्रह किया। बैठक में राज्य के सभी 51 इंग्लिश मीडियम स्कूलों के बच्चों के एक समान ड्रेस, बैज, मोनो के संबंध में भी चर्चा की गई।