भोपाल/रायपुर – छत्तीसगढ़ की एक सीट और एमपी विधानसभा के 28 उपचुनाव के प्रचार का हल्ला रोड शो सभा आदि अब थम गया है। कल मतदान है । प्रत्याशियों का भाग्य का फैसला अब जनता के हाथों में है। उनकी उंगली अब किस बटन को दबाती है ये अभी तक किए गए कार्यों और जनता के फैसले पर निर्भर है।
एमपी में शिवराज और ज्योतिरादित्य के 14 मंत्रियों का फैसला 3 नव को ईवीएम में कैद हो जाएगा ।
शिवराज और ज्योतिरादित्य के मंत्री जिनमें से दो मंत्री अपना इस्तीफा दे चुके है, अपनी कुर्सी किस प्रकार बचा पाते है ये देखना दिलचस्प होगा। विपक्षी उम्मीदवारों से नहीं बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं से भी इनको नाराजगी झेलनी पड़ रही है।
शिवराज के मंत्रियों की हार ही सरकार से बेदखली का कारण –
विधानसभा 2018 के चुनाव में शिवराज के अधिकतर मंत्री हारे थे करीब 13 मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा था। अब इस बार उपचुनाव में फिर शिवराज और ज्योतिरादित्य के मंत्रियों की साख दांव पर है।
एमपी के ये है मंत्री – जो उपचुनाव के मैदान में
तुलसीराम सिलावट , गोविंद सिंह राजपूत, प्रभूराम , महेंद्र सिंह , गिर्राज दंडोतिया , ओ पी एस भदौरिया , राज्यवर्धन सिंह राठौर , ऐडल सिंह कंसाना , बिसहुलाल , हरदीप सिंह , बृजेन्द् सिंह , सुरेश धाकड़, इमरती देवी आदि।
छत्तीसगढ़ का नव गठित जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही में जोगी परिवार के जाति प्रमाण पत्र के निरस्त होने और भाजपा को समर्थन देने से कांग्रेस के लिए काटे की टक्कर हो गई है।
भूपेश सरकार और टीम पूरा प्रयास हर संभव सीट जीतने का दावा करने लगे है। ऐसे में अब एमपी की सरकार और भूपेश की मेहनत का फैसला जनता कैसे करती है ये तो अब 10 नवंबर ही बताएग।