रांची: पत्र सूचना कार्यालय व रीजनल आउटरीच ब्यूरो, रांची तथा फील्ड आउटरीच ब्यूरो, दुमका केे संयुक्त तत्वावधान में ‘भारतीय संविधान: प्रगति एवं स्थिरता का आधार’ विषय पर आज दिनांक 25 नवंबर 2020 को एक वेबिनार परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में कानून, शिक्षा एवं सामाजिक क्षेत्र से जुुुुड़े प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया। विशेषज्ञों की राय थी कि हमें अपने संविधान के प्रति सजग एवं प्रबुद्ध होना चाहिए

वेबिनार के मुख्य अतिथि वक्ता तथा झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश, जस्टिस श्री एन. एन. तिवारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि किसी भी देश का संविधान प्रजातंत्र का मुख्य आधार है। भारत का संविधान विश्व का लिखित रूप में सबसे विशाल संविधान है। आजादी पाने के बाद देश की सबसे बड़ी समस्या थी कि हम कैसे आगे बढ़ेंगे। ब्रिटिश साम्राज्य के अलावा देश में कई प्रिंसली स्टेट्स थे जो कि भाषाओं, विचारों में विभिन्न थे और इन सब को एक सूत्र में बांधना एक बहुत बड़ी चुनौती थी। इसी को मद्देनजर रखते हुए यह तय किया गया कि एक दस्तावेज बनाया जाए जो रास्ता दिखाएं। महात्मा गांधी जी के कहने पर संविधान के ड्राफ्ट कमिटी के निर्देशन की जिम्मेदारी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को दी गई। भारत के संविधान में दूसरे संविधानों से अच्छी चीजें लिखी गई और 2000 संशोधनों के बाद पास किया गया। इसमें 284 हस्ताक्षर है जिसमें 15 महिलाओं के हस्ताक्षर हैं और यह दस्तावेज आज भी हस्तलिखित सुसज्जित संसद भवन के अंदर मौजूद है। देश के संविधान का मुख्य उद्देश्य यह है कि नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों की जानकारी के साथ-साथ गरीबी, बेरोजगारी एवं अन्य सामाजिक कुरीतियों को हटाने की कोशिश की जाए। आज के दिन हम बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को संविधान के मुख्य शिल्पकार के रूप में याद करें और नागरिक सजग होकर संविधान के महत्व को समझें।

वेबिनार परिचर्चा की शुरुआत करते हुए अपर महानिदेशक पीआईबी- आरओबी, रांची श्री अरिमर्दन सिंह ने बताया कि हमारे देश का संविधान हमारी प्रगति और स्थिरता का आधार है। जब भारतीय संविधान स्वीकार किया गया तो उसमें 395 अनुच्छेद, 22 खंड और 12 अनुसूचियां थीं। इसे तैयार करने के लिए 141 बैठकें हुई थी। संविधान को देश की विविधता को मद्देनजर रखते हुए बनाया गया है। देश की जनता की आकांक्षाओं को समाहित करते हुए और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया गया। संविधान में नागरिकों के मूल अधिकारों के साथ उनके कर्तव्य को जोड़ा गया। भारत के संविधान के अनुसार किसी भी व्यक्ति में लिंग, जाति, धर्म भाषा, क्षेत्र आदि के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता, सबके पास एक तरह की न्यायपालिका उपलब्ध है।

सिदो कान्हु मुर्मू विश्व विद्यालय, दुमका के सहायक प्रोफेसर डॉ अजय सिन्हा ने कहा कि 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 125 जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने 26 नवम्बर 2015 को संविधान दिवस मनाने की घोषणा की। जिस समय आजादी की लड़ाई चल रही थी, उसी समय से देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने संविधान का प्रारूप तैयार किया था। उनका मानना था कि हमारा संविधान ब्रिटिश का तोहफा नहीं बल्कि जनता की आकांक्षाओं का प्रारूप होगा। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि संविधान का दायित्व यह होगा कि वह भूखे को खाना दे, नंगे को कपड़ा दे और सामाजिक बुराईयों को दूर करे। अपने अंतिम भाषण में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने कहा कि यह संविधान नागरिकों को राजनीतिक आजादी देता है। यह महज शासन चलाने का दस्तावेज नहीं बल्कि हमारे लक्ष्यों एवं मूल्यों को अंकित करता है।

हमारे संविधान में मौलिक अधिकारों के बारे में बात की गई है और अनुच्छेद 15 में सामाजिक समानता – जाति, धर्म, लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो – संविधान के इस प्रावधान से सामाजिक विषमता को दूर करने का प्रयास किया गया है। साथ ही अवसर की समानता के बारे में बात की गई है ताकि हर व्यक्ति को उसकी योग्यता और क्षमता के अनुसार आगे बढ़ने के अवसर प्राप्त हो। देश के पिछड़े वर्ग को न्याय दिलाने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है ताकि जो लोग मुख्यधारा से वंचित हैं वो जुड़ सकें।

संविधान लागू होने के बाद उसमें अनेक संशोधन किए गए जैसे गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, 72 – 73 वें संशोधन द्वारा महिलाओं को पंचायत स्तर पर आरक्षण का अधिकार। इससे न सिर्फ महिलाओं का राजनीतिक विकास हुआ बल्कि सामाजिक विकास भी हुआ और वे मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। साथ ही तीन तलाक कानून से मुस्लिम महिलाओं को आजादी और जम्मू कश्मीर में दलित एवं महिलाओं को संवैधानिक तरीके से न्याय दिया गया। अतः देश में समस्याओं का समाधान संवैधानिक तरीके से करने का प्रावधान है।

रांची विश्व विद्यालय के राजनीति शास्त्र के सहायक प्रोफेसर डॉ धीरेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि संविधान किसी भी देश को संचालित करने का दस्तावेज है। यह शासन और शासकों के बीच के संबंध को बताता है। यह एक ऐसा दिशासूचक यंत्र है जो किसी भी राष्ट्र के लक्ष्य को निर्धारित करता है। भारतीय संविधान से देश को विकास और स्थिरता प्रदान हुई। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान लागू होने की पूर्व संध्या पर कहा था कि हम एक विरोधाभास के जीवन की तरफ बढ़ रहे हैं क्योंकि एक तरफ हम राजनीतिक समानता की बात कर रहे हैं और दूसरी ओर भारतीय समाज में आर्थिक, सामाजिक भेदभाव की समस्या बहुत बड़ी है। बाबा साहब अम्बेडकर ने ये भी कहा था कि भारतीय संविधान एक स्थाई दस्तावेज नहीं है और इसमें संवैधानिक तरीके से संशोधन किए जा सकते हैं जैसे संसद में दो तिहाई बहुमत, विशेष बहुमत, आधे से ज्यादा राज्यों का समर्थन इत्यादि।2020 तक हमारे देश में 104 संवैधानिक संशोधन किए जा चुके हैं जिसमें 42वां संशोधन सबसे महत्वपूर्ण था क्योंकि उसमें मूल कर्त्तव्यों को डाला गया था। हालांकि संविधान में संशोधन किए जा सकते हैं लेकिन इसकी बुनियादी संरचना को नहीं बदला जा सकता जिससे कि यह देश को स्थिरता प्रदान करता है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सहायक प्रोफेसर डॉ एस. तहसीन रजा ने कहा कि भारत का संविधान अद्वितीय इसीलिए है क्योंकि यह जनता के जिम्मेदारियों की बात करता है। भारत के संविधान में जिस चीज पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया है वह है निष्पक्षता। हमारा देश सारे जहां से अच्छा इसीलिए है क्योंकि हम समता, स्वतंत्रता, बंधुता और सामाजिक न्याय – इन चार मूल तत्वों के आधार पर चलते हैं। हमारे संविधान में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक न्याय, विचार, भाषण, अभिव्यक्ति, विश्वास, पूजा की स्वतंत्रता, बंधुता, समता, मौलिक अधिकारों, इन सब पर न सिर्फ लिखा गया है बल्कि इनका पालन भी किया जाता है। हमारे संविधान में जो लोग कमजोर और हाशिए पर हैं, उनके उत्थान के लिए विशेष जोर दिया गया है। हमारा संविधान सभी अच्छी बातों का निचोड़ है, इसमें सकारात्मक भेदभाव एवं आरक्षण की बात की गई है ताकि देश का हर व्यक्ति विकास में सम्मिलित हो। देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमें अपने संविधान के साथ हमेशा खड़े होना चाहिए और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और राजेंद्र प्रसाद के विचारों के अनुसार हमें अपने संविधान के प्रति सजग एवं प्रबुद्ध होना चाहिए।

वेबिनार में जनसंचार संस्थानों के विद्यार्थियों के अलावा पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारी-कर्मचारियों तथा दूसरे राज्यों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया। गीत एवं नाटक विभाग के अंतर्गत कलाकारों एवं सदस्यों, आकाशवाणी के पीटीसी, दूरदर्शन के स्ट्रिंगर तथा मीडिया से संपादक और पत्रकार भी शामिल हुए।

इस वेबिनार का समन्वय एवं संचालन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी श्री शाहिद रहमान ने किया। वहीं तकनीकी सहायता तथा समन्वय सहयोग क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी श्रीमती महविश रहमान और श्री ओंकार नाथ पाण्डेय द्वारा‌ दिया गया।