मयूर विहार फेज-1 क्रासिंग पर बन रहे फ्लाईओवर (Mayur Vihar flyover jam) के चलते लगने वाले जाम से रोजाना करीब पांच लाख रुपये का ईंधन बर्बाद हो रहा है। पूरे दिन यहां से गुजरने वाले वाहनों को औसतन 15 मिनट के ठहराव के साथ गुजरना पड़ता है। ऐसे में धन, ईंधन व समय की बर्बादी के साथ-साथ फ्लाईओवर निर्माण की धीमी गति के कारण भारी मात्रा में प्रदूषण भी बढ़ रहा है।
नोएडा से अक्षरधाम मंदिर की ओर जाने वाली सड़क पर वर्ष 2015 से फ्लाईओवर बन रहा है। स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग में परिवहन विभाग के प्रो. डॉ. सेवाराम के मुताबिक, इस रूट पर औसतन रोजाना एक तरफ से 70 हजार वाहन गुजरते हैं। वहीं, सुबह-शाम के समय वाहनों की संख्या बाकी दिन के मुकाबले काफी अधिक होती है। ऐसे में पीक आवर्स में जाम की वजह से औसतन 350 लीटर ईंधन प्रति घंटा बर्बाद होता है। इस हिसाब से पूरे दिन में करीब पांच लाख रुपये का ईंधन यहां बर्बाद हो जाता है।
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उन्होंने बताया कि बीते कुछ वर्षों में दिल्ली में वाहनों की संख्या में 40 % का इजाफा हो गया है। इसके चलते ऐसे बॉटल नेक्स पर प्रदूषण बढ़ने के साथ ईंधन की खपत भी अधिक हो रही है।
वहीं, उर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने बताया कि हमारे देश में लगभग 83% ईंधन आयात किया जाता है। ऐसे में बर्बाद होने वाले ईंधन की कीमत विदेशी मुद्रा में आंके तो सिर्फ दिल्ली में ही करोड़ों का डीजल रोजाना बर्बाद होता है। उन्होंने बताया कि सड़कों पर मौजूद बॉटल नेक्स को वक्त रहते दूर करने की आवश्यकता है, ताकि धन, ईंधन और समय की बर्बादी कम करने के साथ ही प्रदूषण पर भी लगाम लगाई जा सके।
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देरी से 10 से 15 फीसदी तक बढ़ जाती है लागत
निगम से सेवानिवृत इंजीनियर इन चीफ दीपक मुखोपाध्याय के मुताबिक, आम तौर पर इस प्रकार की योजनाओं में देरी होने पर लागत लगभग 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। नियमों के मुताबिक, अगर योजना में देरी, निर्माण कंपनी की तरफ से होता है तो उसका जुर्माना कंपनी को देना होता है। मगर, अगर किसी अन्य वजहों जैसे कि कोर्ट केस या सरकारी देरी के कारण योजना लटकती है तो सरकार को उसका व्यय उठाना पड़ता है।
पूर्वी दिल्ली सांसद महेश गिरी ने कहा कि बारापुला फेज-3 फ्लाईओवर के निर्माण में हो रही देरी को लेकर पीडब्ल्यूडी और मुख्य सचिव को कई बार पत्र लिखा है। मगर, यह कार्य अब तक पूरा नही हो सका है। अब उपराज्यपाल से इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए निवेदन करूंगा।