ग्वालियर : मध्य भारत का ऐसा महानगर जहां ऐतिहासिक और पुरातात्विक इमारतों की पहचान पूरे विश्व है. सिंधिया रॉयल फॅमिली के विरासत और आलीशान महल विदेशों से देखने के लिए आते है.
ग्वालियर मध्यप्रदेश के चार महानगरों में से एक है साथ ही राजनीतिक केंद्र बिंदु बना रहा है. चाहे राजमाता सिंधिया हो या फिर भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी या फिर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर सभी का लगाव ग्वालियर से सदैव रहा और यही से राजनीतिक सफर भी शुरू हुआ है.
मध्यप्रदेश में इस बार भाजपा सरकार लाने का श्रेय चंबल ग्वालियर क्षेत्र को ही जाता है. परंतु दुर्भाग्य कहें या फिर समय की त्रासदी ग्वालियर की जनता को स्मार्ट सिटी का तमगा तो पहना दिया परंतु सरकारी आंकड़ों में उलझा रह गया विकास.
आपको कुछ फोटो दिखाते है जो बतायेंगे की ये ग्वालियर महानगर है या फिर कोई बड़ा ग्रामीण क्षेत्र.
ये है ग्वालियर महानगर
सिंधिया राजघराने से लेकर दो – दो केंद्रीय मंत्रियों और कैबिनेट मंत्रियों का शहर. कहते है कि ग्वालियर मध्यप्रदेश का राजनीतिक केन्द्र बिन्दु है.
परंतु यहां का हाल दिया तले अंधेरा – सड़कें, साफ़ सफ़ाई, का बुरा हाल वो भी ऐसा जब यहां के प्रद्युम्न सिंह क्षेत्रीय विधायक भी है और मंत्री भी.
प्रद्युम्न सिंह तोमर ऐसे मंत्री है जो खुद बिजली के खंबे पर चढकर सुधार करने लग जाते है. नाले में खड़े होकर सफाई करने लगते है.
परंतु इन्हीं के क्षेत्र मे सड़क और सफाई का बुरा हाल है.
ये वो मुख्य मार्ग है जहां से सिंधिया महल से रास्ता सीधे किला की तरफ जाता है.
ग्वालियर किले को देखने के लिए इसी मुख्य मार्ग शिंदे की छावनी का पहुँच मार्ग उपयोग में लाया जाता है.