भारत का चालू खाते का घाटा (सीएडी) तेजी से कम हुआ है। 31 मार्च को समाप्त चौथी तिमाही में यह घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.7 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो दिसंबर 2018 में समाप्त तीसरी तिमाही में जीडीपी का 2.7 प्रतिशत था। मुख्य रूप से कारोबारी घाटा कम रहने के कारण ऐसा हुआ है, हालांकि विदेशी पोर्टफोलियो प्रवाह में तेजी बनी हुई है।

2017-18 की चौथी तिमाही में सीएडी, जीडीपी का 1.8 प्रतिशत था। बहरहाल पूरे साल की स्थिति देखें तो 2018-19 में चालू खाते का घाटा जीडीपी का 2.1 प्रतिशत रहा, जो 2017-18 में 1.8 प्रतिशत था। भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई है। 2018-19 में पोर्टफोलियो फंड का शुद्ध प्रवाह 2.4 अरब डॉलर रहा। पूरे साल के दौरान कारोबारी घाटा 2018-19 में बढ़कर 180.3 अरब रुपये हो गया, जो 2017-18 में 160 अरब डॉलर था। 

कुल मिलाकर देखें तो इस चौथी तिमाही में सीएडी 4.6 अरब डॉलर रहा, जबकि एक साल पहले की समान तिमाही में 13 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही में 17.7 अरब डॉलर था। रिजर्व बैंक ने कहा है, ‘सालाना आधार पर सीएडी में कमी की प्राथमिक वजह कम कारोबारी घाटा रहा। यह इस साल 35.2 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले 41.6 अरब डॉलर था।’

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश पर नजर डालें वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में शुद्ध आवक 9.4 अरब डॉलर जबकि शुद्ध निर्गम 2.1 अरब डॉलर रही। 2017-18 की चौथी तिमाही में शुद्ध आवक 2.3 अरब डॉलर रही। वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 6.4 अरब डॉलर रहा जो वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही के बराबर है। 

बयान में कहा गया है कि दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाओं से शुद्ध कमाई में बढ़ोतरी की वजह से सालाना आधार में सेवाओं से शुद्ध प्राप्तियां 5.8 प्रतिशत बढ़ी हैं। इसके अलावा निजी स्थानांतरण प्राप्तियां, खासकर विदेश में नियुक्त भारतीयों की ओर से भेजा गया धन एक साल पहले की तुलना में 0.9 प्रतिशत घटकर 17.9 अरब डॉलर रह गया है। भारत में आई वाह्य वाणिज्यिक उधारी की भारत में आवक 2018-19 की चौथी तिमाही में बढ़कर 7.2 अरब डॉलर हो गई है, जो एक साल पहले एक अरब डॉलर थी।

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