पिछले एक साल के दौरान भारत में नए निवेशकों की संख्या लगभग सिंगापुर की आबादी के बराबर रही। एशिया के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक साल के दौरान 49 लाख नए निवेशक जुड़े। वर्ष 2018 में सिंगापुर की आबादी 56 लाख थी।

स्टॉक एक्सचेंज की जानकारी वाले निवेशकों की कुल संख्या 13.71 फीसदी बढ़कर 4.14 करोड़ हो गई। सबसे अधिक निवेशक महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु से आए। केवल इन तीन राज्यों से नए निवेशकों की संख्या 21 लाख रही। देश के 29 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों में से हरेक से उल्लेखनीय संख्या में नए निवेश जुड़े। देश के 35 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से निवेशकों की संख्या में वृद्धि दो अंकों में रही।

तेलंगाना से नए निवेशकों की संख्या में 55 फीसदी की वृद्धि हुई और निवेशकों की संख्या करीब 5 लाख रही। निवेशकों की संख्या में 25 फीसदी की वृद्धि वाले राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में मणिपुर, मिजोरम, पुडुचेरी और दमन एवं दीव शामिल हैं। इनमें से अधिकतर का आधार कमजोर रहा है और कुल निवेशकों में इनकी हिस्सेदारी करीब 1.6 फीसदी है।

बीएसई के आंकड़ों के अनुसार, निवेशकों की संख्या में मासिक आधार पर भी करीब 0.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। मई तक के उपलब्ध नियामकीय आंकड़ों में भी लगभग इसी तरह का रुझान दिखा। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के मासिक बुलेटिन से पता चलता है कि डीमैट खातों की संख्या में करीब 40 लाख की वृद्धि हुई। डीमैट खातों को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शेयर प्रमाण पत्र प्राप्त होते हैं। वे दो डिपॉजिटरीज- नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (एनएसडीएल) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (सीडीएसएल) से संबद्ध होते हैं।

बंबई स्टॉक एक्चेंज पर दर्ज कुल पंजीकृत निवेशकों की संख्या 4.1 करोड़ है। यह सीडीएसएल और एनएसडीएल पर डीमैट खातों के मुकाबले अधिक है। स्टॉक एक्सचेंज का कहना है कि खातों के दोहराव के कारण इन दोनों संख्याओं में अंतर दिख रहा है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, ग्राहक कोड में दोहराव उस समय हो सकता है जब कोई ग्राहक एक से अधिक ब्रोकर के साथ संबद्ध हो।

ऐंजल ब्रोकिंग के मुख्य कार्याधिकारी विनय अग्रवाल ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान उन्होंने जो एक बड़ा बदलाव देखा है वह नए ग्राहक हासिल करने में भौगोलिक बदलाव रहा है। उन्होंने कहा कि छोटे शहरों से निवेशकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इंटरनेट की पहुंच बढऩे और सूचनाओं की उपलब्धता सुलभ होने से छोटे शहरों के लोगों को शेयर बाजार से जोडऩे में मदद मिली है।

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