नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन (टीएनसीए) की राज्य के बाहर के खिलाड़ियों को तमिलनाडु प्रीमियर लीग में खेलने की अनुमति देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा, हम क्रिकेट खेलने की निगरानी करने नहीं जा रहे हैं। राज्य क्रिकेट बोर्ड इस मुद्दे को बीसीसीआई के लोकपाल या शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त न्याय मित्र के समक्ष रखे।

टीएनसीए की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस एस ए बोबडे और बी आर गवई की बेंच से कहा, राज्य क्रिकेट बोर्ड चाहता है कि टीएनपीएल में तमिलनाडु से बाहर के खिलाड़ी भी हिस्सा लें। इस पर बेंच ने पूछा कि क्या एसोसिएशन ने इस मामले पर प्रशासकों की समिति (सीओए) से संपर्क किया?

इस पर सिब्बल ने कहा, टीएनसीए ने सीओए से मई में ही संपर्क किया था, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। बेंच ने कहा, हम सीओए से इसपर निर्णय लेने को कहेंगे। सीओए की तरफ से पेश वकील पराग त्रिपाठी ने दावा किया कि टीएनसीए इस मामले में सहयोग नहीं कर रहा और उन्होंने अभी तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नए स्वीकृत संविधान को नहीं अपनाया है।

‘आप सिर्फ खेल खेलते रहिए’

सिब्बल ने कहा, क्या आप बाहर के राज्यों से आए खिलाड़ियों को दंडित करना चाहते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम क्रिकेट खेलने की निगरानी नहीं करने जा रहे हैं। सिब्बल ने कहा कि यदि कोर्ट इसकी निगरानी नहीं करेगा तो वे कहां जाएंगे? इस पर बेंच ने कहा, आप सिर्फ खेल खेलते रहिए। सिब्बल ने कहा कि राज्य के बाहर के दो खिलाड़ी हैं जो न तो इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का हिस्सा हैं और न ही वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम में हैं। उन्हें टीएनपीएल खेलने की अनुमति देने में कोई बुराई नहीं है।

मामले को सुलझाने के लिए कोर्ट ने 2017 में लोकपाल नियुक्त किया 

बेंच ने पूछा कि क्या लोकपाल इसका फैसला कर सकता है? इस पर पराग त्रिपाठी ने कहा कि लोकपाल या अन्य समिति को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कहा जा सकता है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले शीर्ष अदालत के पूर्व जस्टिस (सेवानिवृत्त) डी के जैन को बीसीसीआई का लोकपाल नियुक्त किया था। बीसीसीआई के मुद्दे पर शीर्ष अदालत की मदद के लिए वरिष्ठ वकील पी एस नरसिम्हा को न्याय मित्र नियुक्त किया था।

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