भोपाल : दक्षिण एशिया और मध्यपूर्व में पहला और एक मात्र प्रोटॉन थेरेपी सेंटर और भारत के पहले जेसीआई से मान्यताप्राप्त कैंसर हॉस्पिटल, अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर (एपीसीसी) ने कैंसर के लिए सबसे सफल फोकस्ड थेरेपी – प्रोटॉन बीम थेरेपी के बारे में तथ्य देते हुए विस्तार से समझाया। अपोलो के विशेषज्ञता और उत्कृष्टता के गुणों के अनुरूप प्रोटॉन बीम थेरेपी फोकस्ड और प्रशिक्षित कैंसर मैनेजमेंट टीमों के साथ कैंसर के इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ समाधान प्रदान करती है।

इस कॉन्फ्रेंस में डॉ. सपना नंगिया – सीनियर कंसल्टैंट रेडियेशन ऑन्कोलॉजिस्ट एवं डॉ. अनिल डी क्रुज़, डायरेक्टर – ऑन्कोलॉजी सर्विसेज़, अपोलो कैंसर सेंटर्स ने प्रोटॉन कैंसर थेरेपी के बारे में समझाया।प्रोटॉन थेरेपी एक रेडियेशन थेरेपी है, जिसमें कैंसर सेल्स को नष्ट करने के लिए अति सूक्ष्म कणों, प्रोटॉन का उपयोग किया जाता है।

प्रोटॉन कैंसर की सेल्स को अपनी ऊर्जा से नष्ट कर देते हैं, लेकिन स्वस्थ टिश्यू को कोई नुकसान नहीं पहुँचाते। इसलिए ट्यूमर को केंद्र बनाकर ज्यादा मात्रा में यह रेडियेशन दिया जाता है, पर इससे सामान्य व स्वस्थ सेल्स पर कोई असर नहीं होता। प्रोटॉन थेरेपी अनेक तरह के ट्यूमर्स के लिए प्रभावशाली है, जिनमें दिमाग, सिर और गले, केंद्रीय नर्वस प्रणाली, फेफड़ों, प्रोस्टेट,और गैस्ट्रोइंटेस्टाईनल प्रणाली का ट्यूमर शामिल है।

प्रोटॉन थेरेपी बच्चों में ठोस ट्यूमर के इलाज के लिए अक्सर प्राथमिक विकल्प होता है क्योंकि प्रोटॉन्स को सटीकता के साथ नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे सामान्य टिश्यूज़ पर कम रेडियेशन पड़ता है, और गंभीर जटिलताओं को रोकने व द्वितीयक ट्यूमर होने की संभावनाओं को कम करने में मदद मिलती है।  प्रोटॉन थेरेपी के अनेक फायदे हैं।

यह सटीकता और बहुत कम एग्ज़िट खुराक के साथ ट्यूमर और कैंसर सेल्स पर केंद्रित होती है, जिससे कुल विषैलापन कम होता है। यह आस-पास के स्वस्थ टिश्यू एवं अंगों पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक साईड इफेक्ट्स की संभावना और/या गंभीरता को कम करता है। यह थेरेपी बार-बार होने वाले ट्यूमर के इलाज के लिए अनुकूल है, और उन मरीजों को भी दी जा सकती है, जिन्हें पहले रेडियेशन दिया जा चुका है।

इस थेरेपी और इसके उपयोगों के बारे में डॉ. सपना नंगिया – सीनियर कंसल्टैंट रेडियेशन ऑन्कोलॉजिस्ट ने बताया ‘‘लोगों को मालूम नहीं है, लेकिन कैंसर के इलाज के लिए प्रोटॉन टेक्नॉलॉजी का उपयोग 1940 में शुरू हुआ था, जो आज विकसित होकर प्रोटॉन बीम थेरेपी बन गया है। प्रोटॉन थेरेपी कैसे काम करती है यह समझने का सबसे अच्छा तरीका प्रोटॉन एक्सलरेटर, या साईक्लोट्रॉन/सिंकोट्रॉन और बीम डिलीवरी सिस्टम को समझना है। अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर में हमारे पास अत्याधुनिक पीबीएस टेक्नॉलॉजी है, जो हमें हर ट्यूमर के लिए अत्यधिक फोकस्ड इलाज करने में समर्थ बनाती है।

हर ट्यूमर का स्पॉट-बाय-स्पॉट और लेयर-बाय-लेयर प्रोटॉन्स से इलाज किया जाता है। सही तरह से इस्तेमाल किए जाने पर यह कई तरह के कैंसर के इलाज और नियंत्रण के लिए सफल साबित हो चुका है।

’’डॉ. अनिल डी क्रुज़,डायरेक्टर, ऑन्कोलॉजी, अपोलो कैंसर सेंटर्स, नवी मुंबई ने बताया ‘‘दुनिया में कैंसर के मामले पिछले सालों में बहुत तेजी से बढ़ते हुए साल 2012 में 12 मिलियन से बढ़कर 2018 में 18 मिलियन और 2020 में 19.3 मिलियन तक पहुँच चुके हैं। भारत में कैंसर रजिस्ट्रीज़ में भी यही हाल देखने को मिल रही है। भारत में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले 5 कैंसर समय पर पहचान करके रोके व नियंत्रित किए जा सकते हैं। अपोलो कैंसर सेंटर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर और क्लिनिशियंस की मदद से प्रमाण आधारित, ऑर्गन साईट स्पेशियल्टी सेवाएं और ट्यूमर बोर्ड शुरू करके कैंसर के इलाज पर बल दे रहे हैं, ताकि हमारे पास आने वाले मरीजों को सर्वश्रेष्ठ इलाज मिल सके।’’अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर में फुली इंटीग्रेटेड ट्रीटमेंट सुइट है, जो सर्जिकल, रेडियेशन और मेडिकल प्रक्रियाओं में सबसे आधुनिक इलाज प्रदान करता है। अपोलो के पास क्लिनिशियंस की एक शक्तिशाली टीम है, जो कैंसर केयर में विश्वविख्यात है। कैंसर के इलाज में मजबूत दृष्टिकोण के साथ एपीसीसी के पास अत्यधिक योग्य क्लिनिशियंस की एक अनुभवी मल्टीडिसिप्लिनरी टीम है, जो मरीजों की अच्छी देखभाल करते हुए उन्हें सर्वश्रेष्ठ इलाज व परिणाम प्रदान करती है।