छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट: समाज कल्याण विभाग से संबंधित राज्य स्रोत निशक्त जन संस्थान माना रायपुर के नाम पर 1000 करोड़ रुपए का घोटाला करने का आरोप है।इसको लेकर रायपुर के रहने वाले कुंदन सिंह ठाकुर ने अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से दायर जनहित याचिका की थी। हाईकोर्ट ने गुरुवार को मामले की सुनवाई के बाद केस की जांच सीबीआई को सौंप दी। मामले में विवेक ढांड, एनके राउत, आलोक शुक्ला, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल, सतीश पांडेय, पीपी सोती, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय, पंकज वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का भी आदेश दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश के सार्वजनिक होते ही अफसरों में हलचल मच गई। राजधानी रायपुर से सेवा निवृत्त IAS और सीनियर IAS अधिकारियों का दल बिलासपुर पहुंचे। जहां बंद कमरे में अधिकारियों के बीच चर्चा की। कयास लगाए जा रहा है कि IAS अधिकारियों का दल NGO घोटाले मामले में संबंध में ही पहुंचे थे । करीब आधा दर्जन अधिकारी बंद कमरे में चर्चा कर रहे थे । हालांकि मीडिया को इस संबंध में अधिकृत रूप से कोई जानकारी नही दी गई थी । मौके पर बिलासपुर एसपी प्रशांत अग्रवाल भी मौजूद थे । वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. शैलेष आहूजा ने बताया कि रिव्यू पिटीशन पर वही बेंच सुनवाई करने का अधिकार रखती है जिसने आदेश दिया और फैसला सुनाया है। जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस पीपी साहू की विशेष बेंच ने इस मामले में आदेश दिया है, तो रिव्यू पिटीशन पर आगे सुनवाई भी वही बेंच करेगी। शुक्रवार को यह बेंच मौजूद नहीं थी, इसके कारण भी यह सुनवाई नहीं हो सकी।

तत्कालीन मुख्य सचिव अजय सिंह ने बीते साल हाईकोर्ट में 500 पन्नों की जांच रिपोर्ट सौंपी थी। उसमें तत्कालीन मुख्य सचिव ने स्वीकार किया था कि इस मामले में लगभग 150- 200 करोड़ रुपए की गड़बड़ी हुई है। जांच रिपोर्ट में उन्होंने हाईकोर्ट को बताया कि संस्थान में 21 लोगों को अधिकारी, कर्मचारी होना बताया गया। जबकि, वास्तव में वहां एक कर्मचारी काम करता पाया गया।