पेशे से इंजीनियर आदित्य नित्सुरे 40 साल के हैं और निजी क्षेत्र में काम करने वाली उनकी पत्नी स्मिता बर्वे की उम्र 37 साल है। दोनों ने संपत्ति खरीदने के लिए मिल-जुलकर 2013 में एआईसी हाउसिंग फाइनैंस से आवास ऋण लिया। उन्होंने ब्याज दर कम रखने के फेर में संयुक्त ऋण लिया था।
नित्सुरे बताते हैं, ’44 लाख रुपये के संयुक्त ऋण पर उस समय 10 फीसदी ब्याज दर बताई गई थी, जो वास्तव में कम थी। इस समय दर 9.5 फीसदी है। साथ में आवेदन करने से हमारी ऋण लेने की पात्रता बढ़ गई थी।’ हालांकि नित्सुरे और बर्वे को कम ब्याज दर पर ऋण मिल गया, लेकिन आम तौर पर पति-पत्नी साथ मिलकर कर्ज इसलिए लेते हैं क्योंकि इससे उनकी कर्ज लेने की पात्रता बढ़ जाती है यानी उन्हें कर्ज आसानी से मिल जाता है और ज्यादा मिल जाता है। इससे परिवार बड़ा और बेहतर जगह पर बना घर खरीद पाता है। इसलिए अगर आप युवा दंपती हैं, दोनों कमाते हैं और घर खरीदना चाहते हैं तो पति/पत्नी की आमदनी को एक साथ जोडऩा काफी फायदेमंद होता है। बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी ने कहा, ‘रियल एस्टेट खरीदने में अच्छी खासी रकम लगती है और जिन परिवारों में केवल एक व्यक्ति कमाता है, उनमें से कुछ परिवार घर नहीं खरीद पाते हैं। लेकिन अगर पति या पत्नी को कर्ज लेने में शामिल कर लिया जाए तो दोनों की संयुक्त आय और व्यक्तिगत क्रेडिट स्कोर की बदौलत कम ब्याज दरों पर ऋण पाना मुमकिन हो जाता है।’
मगर आवास ऋण को लौटाने में कई साल लग जाते हैं, इसलिए व्यक्ति को वित्तीय अनुशासन जरूर बरतना पड़ता है। इस दौरान ऐसी कई घटनाएं हो सकती हैं, जिनका कर्ज लेने वाले व्यक्ति पर असर पड़ता है। मगर संयुक्त ऋण के फायदे बहुत ज्यादा हैं। कुछ अहम फायदे इस तरह हैं:
ज्यादा ऋण
यह फायदा सबसे पहले नजर आता है। जब आप संयुक्त रूप से किसी ऋण के लिए आवेदन करते हैं तो आपकी ऋण लेने की पात्रता बढ़ जाती है। इसलिए ऋणदाता पति और पत्नी दोनों की आमदनी को एक साथ जोड़कर ऋण की ज्यादा राशि स्वीकृत कर सकता है। उदाहरण के लिए अगर आप 1 करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदना चाहते हैं और आपको 20 साल के लिए 80 लाख रुपये के ऋण की जरूरत है। ऐसे में 8.5 फीसदी ब्याज दर पर समान मासिक किस्त (ईएमआई) करीब 70,000 रुपये होगी। आम तौर पर बैंक हाथ में आने वाले वेतन की 50 फीसदी राशि की ईएमआई को ही मंजूूरी देते हैं। ऐसे में आपकी आमदनी 1.4 लाख रुपये प्रति माह (कर एवं अन्य लाभों के बाद) होनी चाहिए। अगर आपकी पत्नी भी कमाती हैं तो उनका वेतन कर्ज लेने में मददगार बन सकता है। आप ज्यादा ऋण लेकर बेहतर और ज्यादा बड़ा घर खरीद सकते हैं, भले ही आपकी व्यक्तिगत रूप से आमदनी कम हो।
कर्ज की जल्द अदायगी
अगर आप पति या पत्नी के साथ मिलकर कर्ज लेते हैं तो उसे जल्दी लौटाने की संभावना रहती है। कर्ज की रकम तय अवधि से पहले चुकाने (प्री-पेमेंट) पर किसी तरह की शर्त नहीं जुड़ी है तो व्यक्ति कर्ज लौटाने के लिए अपने पास मौजूद हरेक विकल्प का इस्तेमाल कर सकता है। पति या पत्नी अपने बोनस, नियोक्ताओं से मिलने वाले वैरिएबल भुगतान और आमदनी के अन्य स्रोतों से समय-समय पर प्री-पेमेंट कर सकते हैं। इससे उनका कर्ज जल्दी चुक जाता है और उन्हें ब्याज का बोझ कम करने में भी मदद मिलती है।
महिलाओं के लिए रजिस्ट्री सस्ती
बहुत से बैंक महिला आवेदकों को कम ब्याज दरों पर कर्ज दे देते हैं। इसके अलावा कुछ राज्यों में घर या फ्लैट का पंजीकरण यानी रजिस्ट्री महिलाओं के नाम पर करने पर स्टांप शुल्क भी कम लगता है। हर राज्य में स्टांप शुल्क की दर अलग-अलग है। माईमनीमंत्रा डॉट कॉम के संस्थापक और प्रबंध निदेशक राज खोसला ने कहा, ‘संयुक्त आवास ऋण में पत्नी को मुख्य आवेदक बनाकर आप कुल खर्च में काफी बचत कर सकते हैं। आप आवास ऋण पर ब्याज दर और संपत्ति की रजिस्ट्री पर स्टांप शुल्क में रियायत का लाभ उठा सकते हैं।’
कर लाभ
संयुक्त ऋण लेने वाले पति-पत्नी को कर रियायत का भी लाभ मिलता है। पति-पत्नी दोनों संयुक्त रूप से 7 लाख रुपये तक का कर लाभ हासिल कर सकते हैं। इसमें धारा 80 सी के तहत तीन लाख रुपये (प्रत्येक के लिए 1.5 लाख रुपये की कटौती) और धारा 24 (बी) के तहत ब्याज भुगतान पर चार लाख रुपये (प्रत्येक के लिए दो लाख) का कर लाभ शामिल है। हालांकि अपना घर खरीदना हमेशा ही बहुत खुशी का सबब होता है, लेकिन आपको संयुक्त ऋण लेते वक्त कुछ और बातों का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ये बहुत अहम पहलू होते हैं।