कई बार हमें अचानक पैसे की जरूरत पड़ जाती है. ऐसे में क्या हमें परिवार या करीबी रिश्तेदारों की मदद लेनी चाहिए? या बेहतर होगा कि बैंक, एनबीएफसी या क्रेडिट कार्ड पर लोन लिया जाए? यह फैसला लेने से पहले इसके अच्छे और बुरे पहलुओं को समझना जरूरी है. आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं.
1. शून्य या कम ब्याज दर
अगर रिश्तेदारों से आपके अच्छे संबंध हैं और आपने पहले कभी उनसे आर्थिक मदद नहीं ली है, तो आपको शून्य या बैंकों की तुलना में कहीं कम ब्याज दर पर कर्ज मिल जाएगा. पर्सनल लोन पर 24-36 फीसदी तक ब्याज दर के मुकाबले परिवार वाले कर्ज पर नहीं के बराबर ब्याज लेंगे. अगर आपके पास दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है, तो ऐसे में परिजनों से मिलने वाला सस्ता लोन एक अच्छा विकल्प होगा.
2. ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी रिश्तेदारों से उधार लेने का दूसरा बड़ा फायदा यह होता है कि कर्ज चुकाने की कोई तय सीमा या किस्त नहीं होती है. आप बिना किसी दबाव के माली हालत में सुधार होने के बाद कर्ज चुका सकते हैं. इसमें ईएमआई, समयसीमा या जुर्माने की झंझट नहीं होती है. पेमेंट करने में चूकने पर आपके सिबिल स्कोर पर असर नहीं पड़ता है. साथ ही बैंकों से भविष्य में कर्ज लेने की क्षमता पर असर नहीं पड़ता है.
3. औपचारिक प्रक्रिया से मुक्ति रिश्तेदारों या दोस्तों से कर्ज लेने की प्रक्रिया आसान होती है. इसके लिए आपको फॉर्मल एप्लीकेशन, डॉक्यूमेंट या गिरवी रखने लायक संपत्ति नहीं पेश करनी पड़ती है. लोन को तय समय से पहले भरने पर आप पर कोई चार्ज नहीं लगेगा. अन्य औपचारिक पहलुओं से भी आप बचे जाएंगे.