नई दिल्ली। काला धन के खिलाफ अभियान में सरकार को बड़ी सफलता मिली है। स्विट्जरलैंड ने भारत सरकार के अनुरोध पर दो भारतीय कंपनियों और तीन व्यक्तियों की विस्तृत जानकारी देने की हामी भरी है। स्विट्जरलैंड पहले भी सुबूत देने पर खाताधारकों की जानकारी मुहैया कराता रहा है। उसने भारत से ऑटोमैटिक इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज का समझौता भी किया है। इसके तहत अगले साल से स्विट्जरलैंड के भारतीय खाताधारकों की जानकारी स्वतः यहां के अधिकारियों को उपलब्ध होगी।
स्विस सरकार ने एक गजट नोटिफिकेशन में बताया कि संघीय कर विभाग (एफटीए) ने भारत सरकार के अनुरोध पर जियोडेसिक लिमिटेड और आढ़ी एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के संबंध में प्रशासनिक सहयोग की सहमति जताई है। जियोडेसिक लिमिटेड से जुड़े तीन व्यक्तियों पंकज कुमार ओंकार श्रीवास्तव, प्रशांत शरद मुलेकर और किरण कुलकर्णी की जानकारी भी मुहैया कराई जाएगी।
स्विस सरकार ने यह नहीं बताया है कि इन कंपनियों और व्यक्तियों के बारे में भारतीय अधिकारियों ने क्या जानकारी मांगी थी। प्रायः इस स्थिति में वित्तीय एवं कर संबंधी अनियमितताओं के प्रमाण मांगे जाते हैं। बैंक खाते की विस्तृत जानकारी और अन्य वित्तीय जानकारियां भी इसमें शामिल होती हैं। दोनों कंपनियां और तीनों व्यक्ति स्विट्जरलैंड के संघीय कर विभाग के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सकते हैं। फिलहाल इनमें से किसी की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है।

छवि सुधारने के प्रयास में है स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड की गोपनीय बैंकिंग व्यवस्था की दुनियाभर में आलोचना होती रही है। विभिन्न देशों का मानना है कि इसकी गोपनीयता का लाभ उठाकर लोग अपना अवैध पैसा यहां रखते हैं। लगातार दबाव के चलते स्विस सरकार ने नियमों में कुछ ढील दी है। स्विट्जरलैंड पिछले कुछ वर्षों से स्विस बैंकों के ऐसे ग्राहकों के बारे में भारत समेत कई देशों के साथ जानकारी साझा कर रहा है, जिनके खिलाफ संबंधित देशों ने प्रमाण सौंपे हैं। अब ऑटोमैटिक इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज के लिए नया फ्रेमवर्क तैयार किया गया है। इस व्यवस्था के तहत अगले साल से जानकारियों का स्वतः आदान-प्रदान संभव हो सकेगा। भारत के अलावा 40 अन्य देशों के साथ भी इस संबंध में समझौता किया गया है।
सेबी के निशाने पर है जियोडेसिक
1982 में स्थापित जियोडेसिक लिमिटेड को एक समय टेक्नोलॉजी सेक्टर की सबसे तेजी से बढ़ने वाली कंपनियों में शुमार किया जाता था। हालांकि आज की तारीख में कंपनी की वेबसाइट भी बंद है और अनियमितताओं के कारण शेयर बाजारों ने इसके शेयरों में कारोबार भी बंद कर दिया है। सेबी, प्रवर्तन निदेशालय और मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा कंपनी और इसके निदेशकों के खिलाफ जांच कर रहे हैं। शेयर बाजारों में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, पंकज कुमार का नाम कंपनी के चेयरमैन, किरण कुलकर्णी का नाम प्रबंध निदेशक और प्रशांत का नाम कार्यकारी निदेशक के रूप में दर्ज है।

मनी लांड्रिंग में बरबाद हुई आढ़ी एंटरप्राइजेज
नवंबर 2014 में चेन्नई में शुरू की गई आढ़ी एंटरप्राइजेज ने रियल एस्टेट और अन्य कारोबारों में तेजी से तरक्की की थी। हालांकि कुछ समय बाद ही दागी नेताओं से कथित संबंधों और मनी लांड्रिंग में शामिल रहने के आरोपों के कारण कंपनी का कारोबार धराशाई हो गया। आयकर विभाग कंपनी के प्रमोटरों की संपत्तियों और ठिकानों पर कई बार छापेमारी कर चुका है।

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