नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की राजनीति की सबसे बड़ी खबर सामने आई है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने यह इस्तीफा कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपा है. खास बात यह है कि इसमें कल यानी 9 मार्च की तारीख अंकित है. सिंधिया ने लिखा कि मैंने 18 साल तक पार्टी की सेवा की है. अब मुझे आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने यह भी लिखा कि पिछले एक साल से जो हो रहा था उसका भी जिक्र किया है. उन्होंने लिखा मेरे साथ जो हो रहा था उसको लेकर मैं इस्तीफा दे रहा हूं.
सिंधिया के इस्तीफे के बाद अब मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा समेत कई राज्यों के बड़े कांग्रेसी नेता पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं. बताया जा रहा है कि आधा दर्जन से अधिक टॉप लीडर्स कांग्रेस आला कमान और राहुल गांधी की कार्यशैली से नाराज हैं. ऐसे में वह जल्दी ही ज्योतिरादित्य की राह का अनुसरण कर सकते हैं.
अपने इस्तीफे के जरिए जिस तरह कांग्रेस आला कमान को ज्योतिरादित्य ने एक करारा झटका दिया उसके बाद से अब वह खाटी कांग्रेसी नेताओं के निशाने पर आ गए हैं. उनके इस्तीफे के बाद से ट्विटर पर जहां कई कांग्रेसी उन्हें ‘गद्दार’ बता रहे हैं तो कई झांसी की रानी की लड़ाई को भी इससे जोड़कर उनका अपमान करने से नहीं चूक रहे. मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने अपनी ट्विटर हैंडल पर लिखा, ”एक इतिहास बना था 1857 में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मौत से, फिर एक इतिहास बना था 1967 में संविद सरकार से और आज फिर एक इतिहास बन रहा है..। तीनों में यह कहा गया है कि हाँ हम है.
मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं. दो विधायकों का निधन हो गया है, जिसके चलते विधानसभा की मौजूदा शक्ति 228 हो गई है. इस लिहाज से जादुई आकंड़ा 115 है. अब तक की तस्वीर के मुताबिक, कांग्रेस के 114 विधायक हैं और 4 निर्दलीय, 2 बहुजन समाज पार्टी और एक समाजवादी पार्टी विधायक का समर्थन उसके साथ है. यानी मौजूदा स्थिति में कांग्रेस के पास कुल 121 विधायकों का समर्थन है. जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं.