नई दिल्ली। गुजरात सरकार ने टाटा, अदाणी और एस्सार समूह के तीन बिजली संयंत्रों से मिलने वाली बिजली के दाम बढ़ाने की अनुमति दे दी है। शनिवार को जारी आदेश के मुताबिक इन कंपनियों को सरकार के साथ किए बिजली खरीद समझौते (पीपीए) में संशोधन करना होगा। इससे पहले महाराष्ट्र राज्य की सरकारी कंपनी महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी (महावितरण) के बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव दिया था और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव पर मुहर लगाई है।

गुजरात में होने वाली बढ़ोतरी पर बिजली नियामक सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (सीईआरसी) से मंजूरी लेनी होगी। यह आदेश आयातित कोयले से चलने वाली बिजली संयंत्रों के लिए बड़ी राहत है। इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए टाटा पावर ने सोमवार को बंबई शेयर बाजार को भेजी सूचना में कहा कि कंपनी गुजरात सरकार द्वारा एक उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के प्रस्ताव का स्वागत करती है।

इससे मुंदड़ा अति वृहद बिजली परियोजना को कुछ राहत मिलेगी, जो गुजरात की करीब 15 प्रतिशत बिजली की जरूरत को उचित मूल्य पर पूरा करती है। गुजरात सरकार ने टाटा, अदाणी और एस्सार समूह के तीन बिजली संयंत्रों से मिलने वाली बिजली के दाम बढ़ाने की अनुमति दी है। तीनों प्लांट 10,000 मेगावाट बिजली पैदा करते हैं।

इन पांच राज्यों में बढ़ेंगे बिजली के दाम

इस कदम से गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और महाराष्ट्र में बिजली के दाम बढ़ना तय है। दरअसल, ये सभी राज्य गुजरात स्थित टाटा, एस्सार और अडानी के कोयले से चलने वाले पावर प्लांट से बिजली खरीदते हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने टाटा पावर, अडाणी पावर (4600 मेगावॉट) और एस्सार पावर (1320 मेगावॉट) को आयातित कोयले की ऊंची लागत का भार स्थानांतरित करने के लिए किसी तरह के क्षतिपूरक शुल्क के खिलाफ व्यवस्था दी थी।

एसबीआई के सहारे चल रहे पावर प्लांट

बताते चलें कि ये तीनों पावर प्लांट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सहारे चल रहे हैं। बैंक ने उच्च स्तरीय समिति को जानकारी दी थी कि ये सभी पावर प्लांट घाटे में हैं। ये कंपनियां नॉन परफॉर्मिंग प्लांट होने की कगार पर है। ऐसे में अगर इन कंपनियों के डूबने से बैंक को बड़ा नुकसान होगा। अब दरें बढ़ाने के कदम के बाद इन प्लांट को घाटे से उबरने में मदद मिलेगी, वहीं एसबीआई का पैसा भी नहीं डूबेगा।

इंडोनेशिया में बढ़े कोयले के दाम

बताते चलें कि इंडोनेशिया में कोयले की कीमत अचानक बढ़ने और विभिन्न राज्यों द्वारा दरें बढ़ाने से इनकार किए जाने के बाद ये बिजली कंपनियां घाटे में चल रही थीं। इनसे बिजली खरीदने वाले राज्यों ने पीपीए की बाध्यता का हवाला देते हुए दरें बढ़ाने से इनकार कर दिया था। मसला विभिन्न नियामकों, अदालतों, समितियों और सरकारों के बीच अटका हुआ था।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *