(जयपुर)। राजस्थान में भाजपा की राजनीति में पिछले एक-डेढ़ साल में गजेन्द्र सिंह शेखावत एक महत्वपूर्ण चेहरा बन कर उभरे है। जोधपुर से सांसद गजेन्द्र सिंह छात्र राजनीति से आगे बढ़ते हुए पहले सांसद बने, फिर केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री और इस समय राजस्थान में पार्टी की चुनाव प्रबंध समिति के संयोजक है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भी उनका नाम प्रमुख तौर पर सामने आया था। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन हमने शेखावत से बात की तो उनका साफ कहना था कि राजस्थान में कोई लहर नहीं है और हमें पूरा यकीन है कि राजस्थान में भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बना रही है। उनसे बातचीत के प्रमुख अंश:
प्रचार अभियान खत्म हो गया है। कैसा रहा अभियान और क्या फीडबैक है आपके पास?
प्रचार तो समाप्त हो गया, लेकिन कांग्रेस और भाजपा के काम करने के तरीके में बहुत फर्क है। हम पांच साल तक लगातार सक्रिय रहते है। कई उदाहरण ऐसे है जब हम चुनाव के दूसरे दिन से ही अगले चुनाव की तैयारी में जुट गए। संगठन की शक्ति का लाभ भी हमें मिलता है। जहां तक इस चुनाव का सवाल है तो प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री सहित सभी की सभाओं में जिस तरह का समर्थन मिला है, उसे देखते हुए यह साफ है कि विकास और गरीबों के कल्याण के लिए हमारी सरकारो ने जो काम किए है, जनता ने उन्हें पंसद किया है और वो भाजपा के लिए वोट करेगी।
भीड़ तो कांग्रेस की सभाओं मे भी खूब है तो क्या किसी की लहर नहीं है?
कोई लहर नहीं है। कांग्रेस जैसी अपेक्षा कर रही थी कि उसे एकतरफा वोट मिलेगा, वैसा कुछ भी प्रचार में कहीं भी नहीं दिखा। कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में राहुल गांधी, अशोक गहलोत, सचिन पायलट ही नजर आए और उनकी सभाओ में भी उत्साह नजर नहीं आया। राहुल गांधी की सभा में भी कोई मोमेन्टम नहीं था। लोग उत्साहित नहीं दिखे। उन्होंने तो देश के अपराधियों की जय-जयकार की कोशिश भी की। जबकि हमारे नेताओं की सभाओं में उत्साह और ऊर्जा दोनों नजर आए।
कांग्रेस कह रही है आपने प्रचारकों की पूरी फौज उतार दी, फिर भी कुछ हासिल नहीं होगा।
कांग्रेस के पास मणिशंकर अय्यर और दिग्विजय सिंह जैसे नेता थे, उन्हें ला सकती थी प्रचार में। दरअसल उनके पास नेता ही नहीं है, इसलिए सिर्फ राहुल गांधी से प्रचार कराना उनकी मजबूरी थी। जबकि राहुल गांधी के चेहरे ने भी अब क्रेडिबलिटी खो दी है। वे लगातार चुनाव हार रहे हैं, इसलिए अब लोग विश्वास नहीं करते उन पर।
कांग्रेस कह रही है कि भाजपा ने बेमतलब की बातों को मुददा बनाया और असली मुददे खो गए।
ये काम कांग्रेस ने किया। राफेल पर बार बार झूठबोल कर इसे बनाने के प्रयास किया। कांग्रेस जानती थी कि हम विकास के मुददे पर चुनाव लडे तो भाजपा के सामने टिक नही पाएंगे। इसलिए उन्होंने चुनाव को विकास की पटरी से उतार कर अपप्रचार किया। ऐसा उन्होंने राजस्थान ही नहीं सब जगह किया, लेकिन वे कहीं भी सफल नहीं हो पाए।
कहा जा रहा है कि राजस्थान में भाजपा की स्थिति इसलिए सुधरी कि कांग्रेस का टिकट वितरण खराब था। आपको क्या लगता है?
देखिए ऐसा नहीं है। हम पहले भी मजबूत थे, लेकिन कांग्रेस के टिकट वितरण ने उसे एक्सपोज कर दिया। राजस्थान की कांग्रेस खेमों में बंटी हुई है और यह बंटवारा निचले स्तर तक है। कांग्रसे ने इस पर पर्दा डालने का बहुत प्रयास किया, लेकिन एक आंधी चली और कांग्रेसी बेनकाब हो गए। कांग्रेस की पूरी सूची में लोग यह ढूंढते दिखे किसकी कितनी चली। झूठ के आधार पर खड़ा कांग्रेस का महल एक साथ बिखर गया।
कहा जा रहा है कि यह राजस्थान में इस बार 2008 के परिणाम रिपीट होंगे, जब किसी को बहुमत नहीं मिला था।
जी नहीं, हमारी सरकार बनेगी और पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी।
आप चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक थे, लेकिन बडे बागियों को साधने में पार्टी विफल रही। कई मंत्री बागी होकर चुनाव लड़ रहे है।
भाजपा के बागी कांग्रेस के मुकाबले कम है। यह सही है कि कुछ मंत्री भी है, लेकिन लेकिन पार्टी का निर्णय सबको मानना चाहिए। मंत्री होने मात्र से दोबारा टिकट मिलेगा यह तय नहीं था। हम दबाव में काम नहीं करते। वैसे भी जो पार्टी छोड़ कर गया है, उसका क्या हश्र हुआ है, यह सब को पता है।
पहले कृषि मंत्री और अब चुनाव प्रबंध समिति के संयोजक के रूप में आपका अनुभव कैसा रहा ?
पूरे राजस्थान का काम करने का मिला तो आनंद तो आया ही, साथ ही सीखने को बहुत कुछ मिला। हर बार कुछ सीखने को मिलता है। छात्रसंघ से लेकर आज तक जो भी नए दायित्व मिले, उसमें वरिष्ठ नेताओ ने बहुत कुछ सिखाया।
कहते हैं कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद होगा, क्या आपकी सरकार बनी तो भाजपा में भी ऐसा कुछ हो सकता है?
हमारी नेता वसुंधरा राजे है और वे ही मुख्यमंत्री बनेंगी। जो सिरफुटोव्वल है वह कांग्रेस में है और वह इतनी ज्यादा है कि इस बारे में चर्चा करना ही बेकार है।