टीम इंडिया भले ही टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन है लेकिन वर्ष 2018 उसके लिए विदेशी धरती पर लक्ष्य का पीछा करने के मामले में बेहद खराब रहा।

भारतीय टीम को इस वर्ष विदेशी धरती पर छह बार लक्ष्य का पीछा करना पड़ा और हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा। पर्थ में मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 287 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की दूसरी पारी 140 पर सिमट गई और उसे 146 रनों से हार का सामना करना पड़ा। भारतीय टीम प्रबंधन को इस कमजोरी पर गंभीरता से विचार करना होगा।

टीम इंडिया का इस वर्ष विदेश में हार का क्रम केपटाउन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शुरू हुआ था जब 208 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की पारी 135 रनों पर सिमट गई थी। इसके बाद सेंचुरियन टेस्ट में 287 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए मेहमानों की दूसरी पारी मात्र 151 रनों पर ढेर हुई थी।

टारगेट हासिल नहीं कर पाने का टीम इंडिया का यह सिलसिला इंग्लैंड में भी जारी रहा और वहां उसे तीन टेस्ट मैचों में इस तरह हार झेलनी पड़ी थी। बर्मिंघम में लो-स्कोरिंग मैच में 194 रनों का टारगेट भी भारत हासिल नहीं कर पाया था क्योंकि इंग्लिश गेंदबाजों ने उसकी दूसरी पारी को 162 रनों पर समेट दिया था। साउथम्पटन में भी टीम इंडिया लक्ष्य से दूर रह गई थी और उसे 60 रनों से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। ओवल में तो रिकॉर्ड 464 रनों के टारगेट को हासिल कर पाना भारत के बस में नहीं था और उसे 118 रनों से करारी हार का सामना करना पड़ा था। ऑस्ट्रेलिया में भारत ने एडिलेड टेस्ट जीता लेकिन चौथी पारी की उसकी कमजोरी पर्थ में उजागर हुई और उसे 146 रनों से शिकस्त झेलनी पड़ी।

 

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