नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। एरिक्सन की तरफ से दायर की गई अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के चेयरमैन अनिल अंबानी को नोटिस जारी किया है।
एरिक्सन ने आरकॉम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को कथित रूप से नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। कंपनी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आरकॉम उसके 550 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान नहीं कर रही है।
जस्टिस आर एफ नरीमन की अध्यक्षता में गठित बेंच ने चार हफ्तों के भीतर इस नोटिस का जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। आरकॉम की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने अदालत से बकाया भुगतान की दिशा में 118 करोड़ रुपये जमा करने की मंजूरी मांगी। हालांकि एरिक्सन के वकील ने इस रकम को लेने से मना करते हुए 550 करोड़ रुपये की पूरी रकम को जमा कराने की मांग की।
बेंच ने आरकॉम की दलील को स्वीकार करते हुए उसे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में 118 करोड़ रुपये का डिमांड ड्राफ्ट जमा कराने का आदेश दिया।
इससे पहले आरकॉम कह चुकी है कि वह स्वीडिश कंपनी एरिक्सन के बकाया रकम का भुगतान करने के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी ने कहा कि वह जियो के साथ होने वाली डील से मिलने वाली रकम से उसके बकाया का भुगतान करेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक कॉरपोरेट गारंटी की रकम जमा कराए जाने के बावजूद भी दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने आरकॉम-जियो डील को मंजूरी नहीं दी है। इसकी वजह से डील की मियाद जून महीने तक के लिए बढ़ा दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट की शर्त का पालन करते हुए रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने दो दिनों के भीतर 1400 करोड़ रुपये की कॉरपोरेट गारंटी जमा करा दी थी।
कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि आरकॉम और जियो को साथ बैठकर मामले का समाधान करने की जरूरत है। जस्टिस नरीमन ने कहा, ‘आप साथ बैठकर मामले का निपटारा करें। यह हमारे लिए नहीं है। जब तक आप आपसी मसले का समाधान नहीं करते हैं, तब तक हम कुछ नहीं कर सकते।
गौरतलब है कि कर्ज को कम करने की कोशिशों के तहत अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस ने दिसंबर 2017 में रिलांयस जियो के साथ 250 अरब रुपये की स्पेक्ट्रम बिक्री की डील पर हस्ताक्षर किया था।
रिलायंस जियो, रिलांयस इंडस्ट्रीज का स्टार्टअप है, जिसकी कमान मुकेश अंबानी के हाथों में है। इस डील में विभिन्न बैंकों के पास बंधक रखी गई संपत्ति की बिक्री भी शामिल है ताकि रिलायंस कम्युनिकेशंस के खिलाफ चल रही दीवाला प्रक्रिया को खत्म किया जा सके। कंपनी को अपने वायरलेस असेट्स और रियल एस्टेट की बिक्री से 180 अरब रुपये मिलने की उम्मीद है।