प्रभावशाली प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी की वित्त मंत्री सीतारमण ने दूसरी बार पेपरलेस आम बजट मंगलवार को जब पेश करने लगी तो पूरा देश लाइव प्रसारण पर सुबह 10 बजे से ही चाय की चुस्की और नास्ते के साथ खट्टी मिटटी आम बजट को सुनने और देखने में लग गया। सुबह 11 बजे से संसद में आम बजट का लाइव प्रसारण शुरू हुआ। जब प्रधानमंत्री ने कहा कि सौ साल बाद आई वैश्विक महामारी के बीच इस बार का आम बजट अपार सम्भावनाओ से भरा हुआ है तब वित्तमंत्री सीतारमण की घोषणाओं और योजनाओं का आम बजट पिटारा खुल चुका था जिसमे युवाओं के रोजगार के सपने , किसानो के लिए नयी टेक्नोलॉजी वाला जैविक खेती को बढ़ावा और सरकारी कर्मचारियों के लिए NPS निवेश में 14 % टैक्स छूट से कुछ राहत इस वर्ग को मिलना शुरू हुई। मोदी सरकार से पहले जहां लाल सूटकेस में पूर्व वित्त मंत्री फरवरी कीआखिरी तारिख को बजट पेश करते आये है वही परंपरा को बदलते हुए पहली तारिख को पेश किया गया लाल कलर के कपडे में वित्त मंत्री सीतारमण का एक अलग अंदाज संसद में आम बजट प्रस्तुत करते हुए देखने को मिला।
कोरोना महामारी के दौर में देश में टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल बहुत तेजी के साथ बढ़ा है । इसके साथ ही आम बजट भी इससे इसी टेक्नोलॉजी में प्रस्तुत हुआ। पहली बार 2021 में डिजिटल बजट पेश किया गया । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली बार बजट 2021-22 को संसद में एक टैबलेट के जरिए पेश किया। इस प्रकार बजट टैब ने पारंपरिक बही खाते की जगह ले ली। हालांकि यह टैबलेट बही खाते के समान लाल रंग के कपड़े में ही नजर आया। इसके ऊपर भारत सरकार का चिह्न लगा था। इस बार कोरोना महामारी के कारण बजट प्रस्तुत करने से पहले होने वाला हलवा सेरेमनी भी नदारद रहा। इस बार इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और खरीदी को प्रोत्साहन करने के लिए इलेक्ट्रिक चार्जन स्टेशनो को बढ़ाने , बैटरी चार्जिंग समस्या को खत्म करने के लिए बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी लाना जनता के लिए उत्सुक का विषय रहा। अभी तक डिजिटल कार्ड ही स्वैप करना सीखा था अब भारत की जनता बैटरी भी स्वैप करेगी जो हम सब के लिए एक नवाचार से काम नहीं होगा। ट्विटर फेसबुक पर विपक्ष भी खूब हावी रहे है – निराशा, घोर, निराशा और झुनझुना जैसे शब्द आम बजट के लिए कहे जा रहे है। वही सत्तादल के विधायक, सांसद और कर्मनिष्ठ कार्यकर्त्ता इस भारत का भविष्य और विकासोन्मुखी कह रहा है। पांच राज्यों में होने जा रहे चुनावो को देखते हुए अब पूरे माह बजट का चुनाव पर असर कैंपेन चालू हो चुका है। देश के धनाढ्य उद्योगपतियों ने केंद्रीय बजट को साहसिक पालिसी , रोजगारोन्मुखी और सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय वाला बताकर कुलमिलाकर बजट को मिश्री वाला सुख बता दिया है।