मेवाती सरकार ने आध्यात्मिक और जन सेवा का ऐसा ज्ञान जीवन में भर दिया कि आज तक परमार्थ कार्य  के लिए निरंतर कार्यशील हूँ। ये कहना है ग्वालियर शहर के ज्योतिष रत्न पंडित त्रिभुवन उपाध्याय का । @sunokhabar से संवाददाता से विशेष बातचीत में डॉ त्रिभुवन उपाध्याय ने ज्योतिष , अन्धविश्वास और अध्यात्म विषय पर कई वैज्ञानिक पहलूओं पर चर्चा की।  जिसके कुछ अंश पाठको के लिए प्रस्तुत है।  

प्रश्न : अपनी व्यस्ततम दिनचर्या से अध्यात्म के लिए कैसे समय निकाल  पाते है ?  

उत्तर : वर्ष 1990 में जब मेरी पहली पोस्टिंग हुई देश प्रदेश और समाज के प्रति सकारात्मक उत्तरदायित्व कार्यों के साथ कई सुधारात्मक कदम भी आवश्यक थे।  ब्राह्मण कुल में जन्म  मिलने के  कारण शुरू से ही ऐसे संस्कार मिले कि भगवान भक्ति में सदैव आस्था रही। 16 फरवरी 2011 को महामंडलेश्वर मेवाती सरकार से मुलाकात के बाद मेरे जीवन में आध्यात्मिक दर्शन की तरफ झुकाव ज्यादा हो गया और ज्योतिष शास्त्र के प्रति मेरी रूचि बढ़ी।  उनके द्वारा प्राप्त ज्ञान और आदेश से जनकल्याण और मानव जीवन के सकारात्मक  पहलूओं पर कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अभी तक कुल तीन लाख से अधिक लोगो की कुंडलियों पर विमर्श कर चुके है।  एक लम्बे अनुभव के साथ सभी वर्गों के लिए द्वार खुला रहता है। डॉ त्रिभुवन कहते है कि बस जनकल्याण की ललक से ही व्यस्ततम दिनचर्या के बावजूद अध्यात्म के लिए समय सदैव उपलब्ध हो जाता है।  

प्रश्न : आपने किस विषय पर शोध किया है ?

उत्तर : मेरी ज्योतिष विषय पर दो पीएचडी है।  पहली पीएचडी मंगल गृह से मंगल गुणों का मिलान , सप्त भाव में बिठा हुआ मंगल वास्तव में अलगाव अथवा विद्द्वा योग बनता है।  दूसरी पीएचडी महर्षि वैदिक एस्ट्रो , उदयपुर से गोल्ड मेडलिस्ट के साथ शनि गृह की साढ़े साती का मानव जीवन पर प्रभाव वास्तव में अभिशाप या वरदान आदि विषय पर  है।  

प्रश्न : ज्योतिष के साथ जनकल्याण के कोई सामाजिक कार्यों आपके द्वारा ?

उत्तर : वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के समय जब सभी आवागमन के साधन बांध हो गए थे तब पलायन कर रहे मजदूर वर्गों और अति गरीब परिवारों के लिए प्रतिदिन आठ सौ से अधिक खाने के पैकेट लगातार 45 दिनों के हमारे संसथान द्वारा बांटे गए । इस प्रकार करीब 32 हज़ार लोगो को खाने  पीने की जरुरत चीजो का वितरण किया गया।  कोरोना काल में अज्ञात शवों के दाह संस्कारो की व्यवस्था भी हमारे द्वारा की गयी। साथ ही अकाल मृत्यु में चले गए लोगो के लिए पिंड दान और हवन पूजन आदि के धार्मिक कार्यों  का आयोजन भी किया जाता है।  प्रश्न : धार्मिक कार्यों से आपको आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता होगा ?उत्तर : डॉ उपाध्याय कहते है कि मेरे द्वारा बहुत ही कम खर्चे पर सामने वाले के सामर्थ्य अनुसार ही फीस ली जाती है।  साथ ही जो शुल्क प्राप्त होता है कुंडली देखने से जो भी धन मिलता है उस  समस्त धन को गरीबो के जनकल्याण एवं धर्मिक आयोजनों में खर्च कर दिया जाता है।  

डॉ उपाध्याय कहते है कि ज्योतिष आपके कार्यों को बेहतर करने – कराने और भविष्य में आप अपनी परेशानियों को कम करके अपना उत्कृष्ट  प्रदर्शन कर सकें इसी का मार्गदर्शन है।

 प्रश्न : समाज के लिए आपका सन्देश ?

उत्तर : ज्योतिष मूलतः प्रामाणिक ग्रन्थ है और मेडिकल साइंस कि भी बहुत सारी विधाये इसमें लागू होती है। ज्योतिष शास्त्र ऐसा ग्रन्थ है जिसमे अगले 50  साल बाद भी पड़ने वाली दिवाली ,ईद ,एवं अन्य पर्वो की गणना सटीक करता है।  ज्योतिष मूलतः अंक शास्त्र है।  कुंडली में ग्रहो की स्थिति और उनकी चाल, प्रत्येक मानव जीवन को प्रभावित करती है जिसके परिणाम शत प्रतिशत प्राप्त होते है।सही जानकार व्यक्ति से ही सही आंकलन संभव होता है।  कर्म को प्रधान मानते हुए भविष्य के परिणामो को बेहतर करने का प्रयास ज्योतिष शास्त्र है।