नई दिल्ली। अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले के मुख्य आरोपित क्रिश्चियन मिशेल से सीबीआई 15 दिन की पूछताछ में भी कुछ नहीं उगलवा पाई है। मिशेल ने सीबीआई को “फैमिली” और “एपी” समेत घोटाले से जुड़ी तमाम गुत्थियों के बारे में कुछ नहीं बताया। जबकि खुद मिशेल की डायरी में “फैमिली” को 1.6 करोड़ यूरो और “एपी” को 30 लाख यूरो दिए जाने का जिक्र था।
इसके साथ ही डायरी में “ब्यूरोक्रेट्स” और वायुसेना अधिकारियों को दी गई रिश्वत की रकम भी लिखी गई थी।सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने माना कि क्रिश्चियन मिशेल उम्मीद से कहीं ज्यादा सख्त निकला। पूछताछ के दौरान वह कुछ भी बताने से इनकार करता रहा। यही नहीं, मिशेल ने भारतीय कानून में आरोपित को मिलने वाले सारे अधिकारों की जानकारी जुटा रखी थी।
उसे पता था कि सीबीआई उससे सिर्फ पूछताछ कर सकती है। उसकी मर्जी के खिलाफ न तो उसका पॉलीग्राफिक टेस्ट करा सकती है और न ही नार्को टेस्ट। यानी सीबीआई उससे जबर्दस्ती कुछ भी कबूल नहीं करवा सकती है। यदि सीबीआई ने उसका सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बयान भी दर्ज करा लिया, तो अदालत के सामने उसकी कोई अहमियत नहीं होगी।
सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा- उम्मीद की जा रही थी कि डायरी, ईमेल और अन्य दस्तावेजी सबूतों के सामने रखे जाने के बाद क्रिश्चियन मिशेल सचाई बताने को मजबूर हो जाएगा। मगर, ऐसा नहीं हुआ। समस्या यह है कि क्रिश्चियन मिशेल की कंपनियों में अगस्ता वेस्टलैंड की दलाली की रकम जाने के सबूत तो मिलते हैं, लेकिन उसके बाद दलाली की रकम किन-किन लोगों के बीच बंटी, इसका कोई सबूत नहीं है।
माना जा रहा है कि दलाली की रकम दुबई में नकद दी गई होगी, जिसके दस्तावेजी सबूत जुटाना मुश्किल है। सिर्फ गुईडो हस्के के मार्फत दी गई रिश्वत की रकम के सबूत अभी तक मिल पाए हैं, जिसके आधार पर तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी, उनके भाई और गौतम खेतान के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया जा चुका है।
समस्या यह है कि “फैमिली”, “एपी” और “ब्यूरोक्रेट्स” के बारे में सिर्फ और सिर्फ क्रिश्चियन मिशेल ही जानकारी दे सकता है। सिर्फ डायरी में लिखे इन शब्दों के आधार पर किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती। क्रिश्चियन मिशेल के रवैये को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करने से हिचक रहा है।
माना जा रहा था कि सीबीआई की हिरासत की अवधि खत्म होने के बाद ईडी मिशेल को हिरासत में लेगा। मगर, ईडी ने ऐसा नहीं किया और मिशेल को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। लंबी कानूनी लड़ाई और कूटनीतिक प्रयासों के बाद दुबई से मिशेल के प्रत्यर्पण में सफलता मिली थी और हेलिकॉप्टर घोटाले की जांच में इसे अहम कड़ी माना जा रहा था।