ग्वालियर पूर्व की सीट मुन्ना के लिए अब कठिन होती जा रही है। जिस मुन्ना ने 2018 के चुनाव में भाजपा के सतीश सिकरवार को हराया था अब वही सतीश फिर से कांग्रेस में शामिल होकर मुन्ना के सामने खड़े होने के लिए तैयार है। हालाँकि अभी तक आधिकारिक तौर पर कांग्रेस ने ग्वालियर पूर्व के लिए उम्मीदवार की कोई घोषणा नहीं की है संभवत: आज – कल में घोषणा हो जायेगी। मुन्ना लाल गोयल ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल तो हो गए परंतु क्षेत्र की जनता के सामने विरोध भी लगातार सहन कर रहे है। कांग्रेस सरकार में मुन्ना को हालाँकि तवज्जो बिलकुल भी नहीं दिया गया जबकि भाजपा के कद्दावर नेता सतीश सिकरवार को करीब 17 हज़ार से अधिक वोटो से हराया था।
फिर सतीश होंगे सामने !
मुन्ना लाल गोयल को उपचुनाव में शिकस्त देने के लिए कांग्रेस ने सतीश सिकरवार को ज्वाइन करवाकर ग्वालियर पूर्व में मुन्ना की जीत में जबरदस्त ब्रेकर ला दिया है। मुन्ना का क्षेत्र में जबरदस्त विरोध है वही सतीश सिकरवार फिर से अगर टिकट मिलता है तो इस बार उन्होंने अपनी छवि दादा से बदलकर समाजसेवी वाली बना ली है। वो क्षेत्र के वरिष्ठों के यहाँ अब मिलने पहुंचने लगे है जन्मदिन की बधाई के साथ अब केक भी कटवाते नजर आते है। जो व्यापारी वर्ग सतीश से नाराज था वो अब मुन्ना से उतना ही दूर नजर आता है जिसका फायदा कांग्रेस को मिलने की उम्मीद है।
बिगड़ रहे भाजपा के समीकरण !
भाजपा के वरिष्ठ नेता अब अपने राजनीतिक करियर को बचाने में लगे हुए है। जिससे भाजपा उम्मीदवार को अब भीतरघात का डर सताने लगा है।
क्षत्रिय वैश्य ब्राह्मण करेंगे फैसला।
लश्कर पूर्व अधिकारी और कर्मचारी वाला बाहुल्य क्षेत्र है साथ ही दाल बाजार व्यापारी वर्ग , चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स के साथ साथ जय विलास भी इसी क्षेत्र में आता है। क्षत्रिय और ब्राह्मण वोटरों की संख्या 30 – 30 हज़ार से ज्यादा इस क्षेत्र की है। कांग्रेस ने जातिगत समीकरणों को साधने के साथ साथ पहले बालेंदु शुक्ल को कांग्रेस में ज्वाइन करवाया और अब सतीश के कांग्रेस में आने से ब्राह्मण – क्षत्रिय दोनों जातिगत वोटरों के समीकरण को साधने की कोशिश है।
तो अनूप मिश्रा भी हो सकते है उम्मीदवार !
ग्वालियर पूर्व (लश्कर) की सीट सतीश सिकरवार की वजह से अब सबसे कठिन बन चुकी है। मुन्ना के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने का समय आ चुका है। अंदर की खबर ये भी है कि सिंधिया को अगर मुन्ना की सीट पर खतरा ज्यादा लगा तो फिर वो ऐसे ब्राह्मण कद्दावर नेता को उतार सकते है जो सतीश को शिकस्त दे सकें, ऐसे में अनूप मिश्रा भी विकल्प हो सकते है।
2008 में अनूप मिश्रा ने ही इसी सीट से फ़तेह हासिल की थी उसके बाद 2013 के विधानसभा में माया सिंह को टिकट दिया गया था।
क्षेत्र विकास बड़ा रोड़ा।
सड़क पानी और स्थानीय मुद्दों को लेकर क्षेत्र की जनता मुन्नालाल का अंदुरुनी विरोध भी कर चुकी है साथ ही मुन्ना के खिलाफ वोट करने का भी कह चुकी है। अभी हाल ही में शिवराज सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर और सिंधिया की हुई सभा में, ग्वालियर की जनता को कई विकास की सौगातों की घोषणा करने से वोटर का मन किस प्रकार करवट लेता है ये तो समय बताएगा परन्तु अभी मुन्ना लाल गोयल और सतीश सिकरवार के बीच कड़ा मुकाबला होना तय माना जा रहा है।
एक पहलू ये भी।
पहले अटकले लगाई जा रही थी की बालेंदु को पूर्व से टिकट दिया जा सकता है परन्तु सतीश के कांग्रेस ज्वाइन करने से ये अटकलों का बाजार भी ठंडा पड़ गया है। अब रश्मि पवार और बालेंदु दोनों को मिलकर सतीश सिकरवार को हर हाल में जिताने की जिम्मेदारी तय करनी होंगी। ज्ञात हो कि रश्मि पवार कांग्रेस से विधायक का चुनाव लड़ चुकी है परन्तु बालेंदु शुक्ल कि वजह से जातिगत समीकरणों के बिगड़ने के कारण चुनाव हार गयी थी।