मध्य प्रदेश मैं इस समय विधानसभा की 28 सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं जो कि आने वाले दिनों में प्रदेश की दिशा और दशा को तय करेंगे जहां एक और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार कार्यकर्ताओं में और आम लोगों में विभिन्न जनसभाओं के द्वारा भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं और भाजपा सरकार के द्वारा जो विभिन्न योजनाएं थी जिन्हें कमल कमलनाथ सरकार ने बंद कर दिया था को पुनः चालू करके जनता में एक लोकप्रिय मुख्यमंत्री की छवि को स्थापित कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा प्रभात झा नरेंद्र सिंह तोमर उमा भारती ज्योतिरादित्य सिंधिया नारायण त्रिपाठी जैसे विधायक गण भाजपा के प्रचार प्रसार में प्राण प्राण से जुड़ गए हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेसी भी अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है कांग्रेस के स्टार प्रचारक के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट विजयलक्ष्मी साधो पीसी शर्मा सुरेंद्र सिंह जाड़ावत अजय सिंह के पी सिंह डॉक्टर गोविंद सिंह दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस के सांसद विधायक गण एवं पूर्व मंत्री कांग्रेस के पक्ष में यह कहकर माहौल बनाने में लगे हैं कि जनता के वोट द्वारा चुनी गई सरकार यदि इस प्रकार खरीद-फरोख्त के माध्यम से गिराई जाती रही तो आम आदमी का लोकतंत्र से विश्वास उठ जाएगा अब देखना है कि 3 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में जनता अपना मत किसके पक्ष में देती है उल्लेखनीय है कि चार पांच सीटों पर बहुजन समाजवादी पार्टी ने इस चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है जबकि अन्य सीटों पर वह वोट काटने का काम भारी मात्रा में करेगी जिससे हार और जीत के समीकरण बदलेंगे क्योंकि यह सभी जानते हैं कि बसपा का अपना एक वोट बैंक है और फिर करो ना कॉल के बाद हो रहे उपचुनाव अपने आप में एक नया अध्याय लिखा जाएगा जो आने वाले समय में लोकतंत्र के इतिहास का मुख्य पृष्ठ होगा ।
नोट – लेखक ग्वालियर के समाचार पत्र के संपादक एवं चुनाव विश्लेषण है।