मध्य प्रदेश की सियासी जंग 15 साल बाद जीतने के बाद अब सत्ता की कमान कमलनाथ के हाथों में है. कमलनाथ सरकार ने साधु-संतों का दिल जीतने के लिए प्रदेश में ‘अध्यात्म विभाग’ का गठन करने की घोषणा की है. कांग्रेस की नई सरकार ने इसमें आनंद विभाग में होने वाले तमाम कार्यों के साथ धर्म से जुड़े कामों, तीर्थ दर्शन, धार्मिक यात्रा और धार्मिक स्थलों का सौंदर्यीकरण जैसे कार्यों को मिला दिया है.
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के वचन पत्र में किए गए एक और वादे को गुरुवार को पूरा करने के लिए कदम उठाया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने अध्यात्म विभाग के गठन की अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशन के लिए भेज दी.
‘अध्यात्म विभाग’ में नर्मदा न्यास, ताप्ती, मंदाकिनी और क्षिप्रा नदी के न्यास का गठन, मध्यभारत गंगाजली निधि न्यास, पवित्र नदियों को जीवित इकाई बनाने के संबंध में कार्रवाई, राम वनगमन पथ में पड़ने वाले अंचलों का विकास सहित धर्मस्व और आनंद विभाग के अधीन आने वाले सभी विभाग काम करेंगे.
कमलनाथ द्वारा अध्यात्म विभाग गठित करने के निर्णय के बाद अब मूर्त रूप दिया गया है. इसमें धार्मिक न्यास और धर्मस्व व आनंद विभाग को मिलाया गया है. ये विभाग भारत और प्रदेश की मिश्रित संस्कृति के विकास के लिए काम करेगा. विभाग के अंतर्गत वे सभी अधिनियम और नियम भी आएंगे, जो धर्मस्व विभाग के अधीन आते हैं.
‘अध्यात्म विभाग’ धर्मस्थानों से जुड़े ऐतिहासिक स्थानों का रखरखाव. धार्मिक स्थलों पर लगने वाले मेलों और आयोजनों पर भीड़ प्रबंधन एवं सुरक्षा की विशेष व्यवस्थाओं पर सुझाव देने का काम भी करेगा. इसके अलावा प्रदेश और बाहर के चिह्नित तीर्थस्थलों की यात्रा का प्रबंधन करेगा.
‘अध्यात्म विभाग’ धार्मिक संस्थाओं की भूमि का प्रबंधन, पुजारी, महंत और कथावाचकों की नियुक्ति और उनको हटाने की जिम्मेदारी भी निभाएगा. नगर, शहर और स्थानों को पवित्र घोषित करने का काम भी यही विभाग करेगा.